Ranchi: वर्ष 2016 के राज्यसभा चुनाव में हुए हॉर्स ट्रेडिंग का मामला अब गरमा गया है. हॉर्स ट्रेडिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता और प्रेस सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ पीसी एक्ट के तहत केस चलेगा. वहीं दूसरी ओर पूर्व सांसद सुबोधकांत सहाय के पीए दीपक प्रसाद का रविवार को जगन्नाथपुर थाना में बयान दर्ज हुआ है.
जानकारी के अनुसार बड़कागांव की पूर्व विधायक निर्मला देवी ने रांची पुलिस को दिए बयान में बताया था कि 11 जून 2016 को चुनाव के दिन उन्हें रोकने की कोशिश हुई थी. तब अपने पीए संजीत कुमार और सुबोधकांत सहाय के पीए दीपक प्रसाद के माध्यम से वह हेमंत सोरेन के आवास तक पहुंची थीं. इसके बाद हेमंत सोरेन उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाकर वोट दिलवाने ले गए थे. इस प्रसंग पर भी रांची पुलिस ने सुबोधकांत सहाय के पीए दीपक प्रसाद का बयान दर्ज किया है.
सुबोधकांत सहाय कर चुके हैं अपने हस्ताक्षर की पुष्टि
रांची के पूर्व सांसद सुबोधकांत सहाय का बयान भी पुलिस ने दर्ज किया था. बयान में सुबोधकांत सहाय ने स्वीकार किया था कि बाबूलाल मरांडी के द्वारा जो पत्र आयोग को भेजा गया था, उस पर उन्होंने भी अपने हस्ताक्षर किए थे.
पूर्व सीएम रघुवर दास, एडीजी अनुराग गुप्ता और पूर्व सीएम के सलाहकार के खिलाफ पीसी एक्ट के तहत केस चलेगा
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, एडीजी अनुराग गुप्ता और पूर्व सीएम के सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ पीसी एक्ट (प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट) के तहत केस चलेगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी मंजूरी दे दी है. पीसी एक्ट के तहत मामला चलाने का आदेश वर्ष 2016 में राज्य सभा चुनाव के दौरान हॉर्स ट्रेडिंग के मामले में दी गई है. इसमें अनुराग गुप्ता और अजय कुमार को प्राथमिक अभियुक्त माना गया है, जबकि रघुवर दास को अप्राथमिक अभियुक्त. जानकारी के मुताबिक अनुराग गुप्ता और अजय कुमार ने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने के लिये कांग्रेस विधायक निर्मला देवी के पति योगेंद्र साव को रिश्वत देने की कोशिश की थी.
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उस वक्त वायरल एक वीडियो में रघुवर दास और अजय कुमार धुर्वा स्थित योगेंद्र साव के घर भी गये थे. वीडियो में रघुवर दास सब ठीक कर देने की बात कह रहे थे. जिस वक्त का वीडियो है, उस वक्त योगेंद्र साव पुलिस की नजर में फरार थे. ऑडियो और वीडियो वायरल होने के बाद जेवीएम के अध्यक्ष बाबुलाल मरांडी (अब भाजपा के विधायक हैं) ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की थी. चुनाव आयोग ने अपनी जांच में शिकायत को सही पाया. जिसके बाद आयोग ने झारखंड सरकार को प्राथमिकी दर्ज करने और अनुराग गुप्ता व अजय कुमार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरु करने का आदेश दिया था.