Ranchi : रक्षा बंधन 9 अगस्त को मनाया जा रहा है. श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त दोपहर 2:12 बजे से शुरू होकर 9 अगस्त दोपहर 1:24 बजे समाप्त होगी. इससे पहले बहनें सुबह नहा धोकर मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगी. भाई के लिए भगवान से प्रार्थना करेंगी. जबतक की भाई के हाथों में राखी नहीं बांध लेती. तब तक उपवास रहेंगी.
सिर्फ धागा नहीं, संवेदना और विश्वास का प्रतीक
श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट एवं विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा कि रक्षाबंधन केवल धागे का बंधन नहीं, बल्कि संवेदना, श्रद्धा, विश्वास और कर्तव्य का प्रतीक है. इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी दीर्घायु, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं. बदले में भाई जीवनभर बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं और उपहार देते हैं.
पौराणिक कथाओं में रक्षाबंधन का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर भगवान विष्णु को बैकुंठ वापस लाने का मार्ग बनाया. महाभारत में द्रौपदी द्वारा श्रीकृष्ण को साड़ी का टुकड़ा बांधने की कथा भी रक्षाबंधन की भावनाओं का प्रतीक है.
खून के रिश्तों से परे सामाजिक भाईचारा
रक्षाबंधन केवल खून के रिश्तों तक सीमित नहीं है. कई स्थानों पर महिलाएं मित्र, पड़ोसी या सैनिकों को भी राखी बांधती हैं, जिससे यह पर्व सामाजिक समरसता और भाईचारे का संदेश देता है. विदेशों में बसे भारतीय भी इसे धूमधाम से मना रहे हैं. बहनें डाक या ऑनलाइन माध्यम से राखी भेज रही है. भाई भी उपहार व शुभकामनाओं से रिश्तों को जीवंत रखते हैं. संजय सर्राफ ने कहा कि यह पर्व नारी सम्मान, पारिवारिक एकता और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है. ऐसे अवसर पर हमें परिवार और समाज को सुदृढ़ करने का संकल्प लेना चाहिए.
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