Ramgarh: रामगढ़ के मांडू में कृषि विज्ञान केंद्र में संरक्षित कृषि पर एक दिवसीय जागरुकता प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि प्रणाली के पहाड़ी एवं पठारी अनुसंधान केंद्र रांची द्वारा पूर्वी क्षेत्र में धान-परती प्रणाली के अंतर्गत कृषि विधियों के मूल्यांकन परियोजना के अंतर्गत यह कार्यक्रम किया गया. इस अवसर पर प्रमुख वैज्ञानिक डॉ बालकृष्ण झा एवं परियोजना के अन्वेषक ने संरक्षण कृषि तकनीक के बारे में जानकारी दी. उन्होंने धान की सीधी बुवाई, शून्य जुताई व मसूर, तिसी, चना, सरसों की फसलों में अवशेष प्रबंधन पर बल दिया. इसे भी पढ़ें- शिवसेना">https://lagatar.in/shiv-senas-mouthpiece-saamna-attacked-pm-modi-on-pok-calling-surgical-strike-a-small-firecracker/">शिवसेना
के मुखपत्र सामना ने Surgical Strike को छोटा पटाखा बताते हुए पीओके पर पीएम मोदी को घेरा उन्होंने कहा कि किसान इन तकनीकों को अपनाकर धान की कटाई के बाद संरक्षण तकनीक द्वारा खेतों की न्यूनतम जुताई कर बची हुई नमी का उपयोग कर सकते हैं. इससे दलहन एवं तिलहन फसलों को आवश्यकता अनुसार 1-2 हल्की सिंचाई से फसलों की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं सह अन्वेषक डॉ संतोष एस माली ने किसानों को धान-परती भूमि में फसलों के जल प्रबंधन विषय पर विशेष जानकारी प्रदान की. इसके साथ-साथ उन्होंने टपक सिंचाई की उपयोगिता एवं रखरखाव के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि झारखंड प्रदेश में इस तकनीक को अपनाकर किसान अपनी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं. इसे भी पढ़ें- हीरो">https://lagatar.in/income-tax-raid-on-hero-motocorp-chairman-pawan-munjal-accused-of-showing-bogus-expenses/">हीरो
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रामगढ़: मांडू में संरक्षित कृषि विषय पर जागरुकता प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न

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