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रांची : क्रियायोग विज्ञान प्रसार के 105 वर्ष

Ranchi : योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (वाईएसएस) भारत की सर्वोच्च आध्यात्मिक संस्थाओं में से एक है, जिसकी स्थापना, विश्वविख्यात पुस्तक योगी कथामृत के लेखक श्री श्री परमहंस योगानन्द ने 22 मार्च 1917 को की थी. वाईएसएस ने न केवल भारत की आध्यात्मिक शिक्षा का जनसाधारण के मध्य से प्रसार करने और ईश्वर के साथ गहन सम्बंध स्थापित करने के लिये सच्चे साधकों की सहायता करने में एक अग्रणी एवं सराहनीय भूमिका निभाई है, बल्कि सम्पूर्ण भारत में अनेक लोकोपकारी परियोजनाओं और कार्यों में भी प्रत्यक्ष योगदान दिया है. इसे भी पढ़ें-बाल">https://lagatar.in/there-is-a-need-to-work-in-a-collaborative-spirit-for-child-protection-palamu-dc/">बाल

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योगदा प्रणाली का नाम दिया

योगानन्दजी स्वयं जब एक युवा संन्यासी ही थे, तभी से उन्होंने युवकों को सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने के साथ-साथ शरीर, मन, और आत्मा का संतुलन प्राप्त करने की प्रणाली जिसे उन्होंने “योगदा” प्रणाली का नाम दिया था, उसका प्रशिक्षण देने का महान कार्य प्रारम्भ कर दिया था. उन्होंने 1917 में दिहिका में बहुत कम विद्यार्थियों के साथ एक विद्यालय की स्थापना की, जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल में स्थित है. इस कार्य के माध्यम से वे वाईएसएस की नींव रख रहे थे, जो कालांतर में एक अत्यंत प्रभावशाली आध्यात्मिक संगठन के रूप में विकसित हो गया. योगानन्दजी ने सन् 1920 में अमेरिका में अपने आगमन के पश्चात वाईएसएस की सहयोगी संस्था सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फेलोशिप की स्थापना की. एसआरएफ के ध्यान केन्द्र सम्पूर्ण विश्व में फैले हुए हैं. वाईएसएस की भांति एसआरएफ भी  एक प्रशंसनीय आध्यात्मिक भूमिका निभा रहा है. वाईएसएस एवं एसआरएफ़ के वर्तमान अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द गिरि हैं. इसे भी पढ़ें-दुमका">https://lagatar.in/dumka-many-issues-were-discussed-in-the-meeting-of-khatian-organization/">दुमका

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गुरू की प्रेरणा से वाईएसएस की स्थापना की

योगानन्दजी के गुरू  स्वामी श्रीयुक्तेश्वर गिरि ने उन्हें परामर्श दिया था कि उन्हें क्रियायोग की मुक्तिदायक शिक्षाओं का प्रसार करने के लिए एक संस्था की स्थापना करनी चाहिए, जो निष्ठापूर्वक सत्य की खोज करने वाले साधकों को ईश्वर-प्राप्ति का मार्ग खोजने में सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करेगा. इस प्रकार उन्होंने अपने गुरू की प्रेरणा से वाईएसएस की स्थापना की थी. प्रारम्भ में युवा संन्यासी, योगानन्दजी किसी भी संगठनात्मक कार्य के विरुद्ध थे, क्योंकि वे यह जानते थे कि संगठन “बर्रों के छत्तों” के समान होते हैं, किंतु अन्त में उन्होंने अपने गुरू के निर्देशों का पालन किया और उसके परिणामस्वरूप एक आध्यात्मिक तरंग उत्पन्न हुई जो अंततोगत्वा एक शक्तिशाली लहर में परिणत हो गयी तथा सभी राष्ट्रों की सीमाओं में प्रवेश कर गयी. इसे भी पढ़ें-जमशेदपुर">https://lagatar.in/jamshedpur-tribute-meeting-organized-on-the-birth-anniversary-of-the-great-hero-of-chuhad-revolt-raghunath-mahato/">जमशेदपुर

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अत्यंत विस्तृत एवं प्रेरणादायक प्रसंग

वाईएसएस के उद्देश्य एवं आदर्श स्वयं में ही अत्यंत विस्तृत एवं प्रेरणादायक हैं और उनमें से  प्राथमिक यह है कि ईश्वर की प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुभूति प्राप्त करने के लिए सुनिश्चित वैज्ञानिक प्रविधियों के ज्ञान का विभिन्न राष्ट्रों में प्रचार करना.योगानन्दजी द्वारा प्रतिपादित शिक्षाएं, जो उन्होंने अपने पूर्ववर्ती गुरुओं से ग्रहण की थीं, क्रियायोग विज्ञान पर केंद्रित हैं. सम्पूर्ण भारतवर्ष में स्थित सैकड़ों वाईएसएस ध्यान केन्द्र भक्तों के मार्गदर्शन के लिये प्रकाशस्तम्भों का कार्य करते हैं. इसे भी पढ़ें-सेना">https://lagatar.in/the-recruitment-process-in-the-army-has-only-stopped-not-stopped-the-minister-of-state-for-defense-said-in-parliament/">सेना

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अनेक संन्यासीगण एवं स्वयंसेवक रांची, दक्षिणेश्वर, द्वाराहाट और नॉएडा स्थित आश्रमों में निवास करते हैं तथा गुरुदेव के कार्य का प्रतिनिधित्व करते हुए वाईएसएस की गतिविधियों का संचालन, आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन, सत्संग, भक्तों को परामर्श प्रदान करने का कार्य, पाठमाला (जिसका अध्ययन सभी भक्त अपने घर में बैठकर कर सकते हैं) और अन्य साहित्य का वितरण, आवश्यकतानुसार राहत कार्य का संचालन तथा योगानन्दजी की शिक्षा के प्रसार के लिये अनेक अन्य कार्यों का संचालन करते हैं. इसे भी पढ़ें-फुटबॉल">https://lagatar.in/football-turned-politician-biren-singh-took-power-in-manipur-for-the-second-time-in-a-row/">फुटबॉल

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ऑनलाइन और ऑफलाइन विशेष सत्संग

गुरुओं के आविर्भाव दिवसों, महासमाधि दिवसों तथा अन्य स्मरणोत्सवों के अवसर पर वाईएसएस द्वारा ऑनलाइन और ऑफ़लाइन विशेष सत्संगों का आयोजन किया जाता है. भक्तों के संगम भी नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं. इन कार्यक्रमों से भाग लेने वाले भक्तों के उत्साह एवं भक्ति में वृद्धि होती है और उन्हें ग्रहणशील होने में सहायता प्राप्त होती है. इसे भी पढ़ें-पटना:">https://lagatar.in/patna-police-busted-illegal-liquor-factory-four-arrested/">पटना:

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अनेक अवसरों पर  सरकार द्वारा सम्मानित

वाईएसएस को अनेक अवसरों पर भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है. उदाहरणार्थ अभी हाल में 2017 में वाईएसएस की 100वीं जयंती के अवसर पर तथा 2018 में योगानन्दजी के 125वें आविर्भाव दिवस के अवसर पर. भारत सरकार ने योगानन्दजी के जीवन एवं कार्य को सम्मानित करते हुए दो डाक टिकट जारी किए हैं. एक 1977 में और दूसरा 2017 में.   श्री श्री परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाएं निरन्तर पूरे भारत में हजारों भक्तों को मंत्रमुग्ध एवं प्रेरित कर रही हैं  तथा वाईएसएस उनकी विरासत का मूल है. वाईएसएस और एसआरएफ़ के माध्यम से योगानन्दजी आज भी हमारे मध्य उपस्थित हैं और इन संगठनों की पुष्पमय सुगन्ध निरन्तर समस्त दिशाओं में व्याप्त हो रही है. [wpse_comments_template]  

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