Search

रांची : बांस जैव ईंधन के मामले में बेहतर साबित हो रहा : संजीव

पर्यावरण सुरक्षा को लेकर जैव ईंधन पर सेल में राष्ट्रीय सेमिनार

Ranchi : सेल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र इस्पात भवन में राष्ट्रीय सेमिनार बायोस 2023 का आयोजन किया गया है. आयोजन के पहले दिन बांस जो कि घास की श्रेणी में सर्वोत्तम उत्पाद है, पर बताया गया कि यह जैव ईंधन के मामले में बेहतर साबित हो रहा है. महाराष्ट्र के किसानों ने अब बांस की खेती कर अपनी आमदनी को बढ़ाने का काम किया है. देश में बांस अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव ला सकता है. इंडनेशिया सहित आस-पास के कई देश बांस से अपने अर्थव्यवस्था को मजबूत किए हुए हैं. बांस से चारकोल का निर्माण से देश ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा सकता है. इसमें कोयला तथा लकड़ी से अधिक ऊर्जा होती है. उक्त बातें संजीव कोरपे ने कहीं. एक योग्य इलेक्ट्रिकल इंजीनियर होने के साथ वे पिछले सत्रह वर्षों से बांस उद्योग से जुड़े हुए हैं और उन्होंने ग्रामीण भारत में स्व-टिकाऊ बांस आधारित उद्यम स्थापित करने में काम किया है. उन्होंने बताया कि किसानों की सबसे बड़ी समस्या पानी को लेकर होती है. जहां गन्ने में एक हेक्टेयर भूमि पर दो करोड़ लीटर पानी की खपत है, वहीं बांस के उत्पादन में महज प्रति हेक्टेयर 20 लाख लीटर पानी की जरूरत होती है.

इस्पात सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा थे मौजूद

मौके पर इस्पात सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा, आरएंडडी सेल के कार्यपालक निदेशक (प्रभारी) निर्भीक बनर्जी, संदीप कुमार कर, कार्यपालक निदेशक एवं आएसीएआर (आईआईएबी) की ओर से डॉ सुजोय रक्षित सहित भारत के वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद तथा सेल, ईसीएआर, आईआईटी, आएआईएम, जेएनयू व कृषि से जुड़े संस्थान शामिल रहे.
इसे भी पढ़ें – संसद">https://lagatar.in/why-so-much-mystery-on-the-parliament-session/">संसद

के सत्र पर इतना रहस्य क्यों?
[wpse_comments_template]

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp