Ranchi : धुर्वा प्रभात तारा मैदान में आयोजित आदिवासी हुंकार रैली से मंच से उतारने के दूसरे दिन कचहरी स्थित टीआरआई बिल्डिंग पर संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया. इस मौके पर केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि यह रैली आदिवासी अस्मिता की लड़ाई के नाम पर एक साजिश थी.
रैली में कई फर्जी आदिवासी और धर्मांतरित ईसाई समुदाय के लोग शामिल थे, जिन्होंने आदिवासी समाज को गुमराह करने का काम किया. तिर्की ने कहा कि यह दिन आदिवासी समाज के लिए काला दिवस के रूप में याद किया जाएगा. लाखों की भीड़ दिखाकर कुछ लोग घाटशिला में सता पर कब्जा करना चाहते है.
निशा भगत को मंच से हटाया गया, कहा- आदिवासी समाज को छलने की कोशिश
रैली में केंद्रीय सरना समिति की महिला अध्यक्ष निशा भगत ने कहा कि यह रैली असल में कुड़मी समाज को एसटी दर्जा देने के विरोध के लिए बुलाई गई थी, लेकिन ईसाई मिशनरी तत्वों ने इसका राजनीतिकरण कर दिया.
रैली के दौरान निशा भगत और फूलचंद तिर्की को मंच से नीचे उतार दिया गया. निशा भगत ने कहा कि ईसाई मिशनरी फंड से मंच तैयार किया गया था. आदिवासी धर्म और देवी-देवताओं को भूत-प्रेत’ कहकर उनका अपमान किया गया.
धर्मांतरित ईसाई विधायक आदिवासी आरक्षण पर कब्जा कर रहे हैं
निशा भगत ने आरोप लगाया कि धर्मांतरित ईसाई अब आदिवासियों के हक पर कब्जा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा की 28 आदिवासी आरक्षित सीटों में से 10 सीटों पर धर्मांतरित ईसाई विधायक काबिज हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि चंगाई सभा और बाइबल प्रचार के नाम पर आदिवासी समाज को ठगा जा रहा है. भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर मिशनरियों ने व्यापार खड़ा किया है. ईसाई बनो और आरक्षण पर कब्जा करो यही उनकी नीति है.
समाज चलाना है तो रूढ़ि-प्रथा का पालन जरूरी
फूलचंद तिर्की ने कहा कि केंद्रीय सरना समिति केवल रूढ़िवादी प्रथाओं और परंपरागत आदिवासी धर्म को मानने वालों का संगठन है. उन्होंने आदिवासी नेताओं को चेतावनी दी पार्टी से पहले समाज की सेवा करें. समाज का आंदोलन मिशनरियों के फंड से नहीं, अपने खून-पसीने से चलना चाहिए.
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