Ranchi: सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में गुरुवार को एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के अंतर्गत जिला स्तरीय प्रशिक्षण सह उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता DRCHO डॉ असीम कुमार मांझी ने की. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और महिला एवं समाज कल्याण विभाग के पदाधिकारी और कर्मियों के साथ स्वास्थ्य विभाग से जिला कार्यक्रम प्रबंधक प्रवीण कुमार सिंह, जिला कार्यक्रम समन्वयक प्रीति चौधरी, क्षेत्रीय समन्वयक श्वेता वर्मा समेत कई स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित रहे.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ असीम कुमार मांझी ने कहा कि झारखंड में एनीमिया एक गंभीर जन स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है. लगभग सभी आयु वर्ग के लोग इससे प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास को प्रभावित करता है. इसलिए बच्चों को समय पर आयरन और फोलिक एसिड की गोली उपलब्ध कराना आवश्यक है.
जिला कार्यक्रम प्रबंधक प्रवीण कुमार सिंह ने स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में उपलब्ध कराए जा रहे आयरन ब्लू, पिंक और गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली लाल आयरन टैबलेट के बारे में जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि राज्य में करीब 67 प्रतिशत बच्चे और 55 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं. आयरन की गोलियों के साथ-साथ जीवनशैली में सुधार कर एनीमिया के प्रसार को कम किया जा सकता है.
एविडेंस एक्शन के क्षेत्रीय समन्वयक नीरज कुमार ने बच्चों, किशोर-किशोरियों और महिलाओं में एनीमिया रोकथाम को लेकर जागरूकता बढ़ाने और आयरन फोलिक एसिड की नियमित खुराक लेने से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की.
कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया गया कि 6 महीने से 59 महीने के बच्चे, 5 से 9 वर्ष के बच्चे, 10 से 19 वर्ष के किशोर-किशोरियां और 15 से 49 वर्ष की गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं में एनीमिया के प्रसार को कम कर उनके संपूर्ण विकास को सुनिश्चित किया जा सके. इसी लक्ष्य के तहत सभी लाभार्थियों को नियमित रूप से आयरन और फोलिक एसिड की सप्लीमेंट दी जा रही है.
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