Ranchi : कुसई काली पूजा समिति का भव्य पंडाल इस वर्ष झारखंड की आदिवासी संस्कृति और जंगल संरक्षण का जीवंत उदाहरण पेश कर रहा है. यहां पर वर्ष 1985 से काली पूजा लगातार आयोजित हो रहे है. इस बार प्राकृतिक संसाधनों और लोक परंपरा का अनूठा संगम पूजा पंडाल मे दिखने को मिलेगा.
12 लाख की लागत से तैयार हो रहा 55 फीट ऊंची पूजा पंडाल
समिति के सचिव मनी भ्रषण झा ने बताया कि मां काली की मूर्ति इस बार दस फीट का रहेगा. 20 अक्टूबर को रात 12 बजे मां काली का पूजा पुजारी अशोक पांडेय के द्वारा होगी. पंडाल की ऊंचाई 55 फीट, चौडाई 70 फी, और लंबाई 80 फीट है. इसकी लागत करीब 10 से 12 लाख की लागत से तैयारी की जा रही है.
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का संदेश देगा काली पूजा पंडाल
पंडाल को पूरी तरह से प्राकृतिक सामग्रियों पेड़ की छाल, नारियल के छिलके, टोकरी, रस्सी, गेहूं और धान से सजाया जा रहा है. इन सामग्रियों से बंगाल के 50 कारीगर पंडाल को बनाने में जुटे हुए है.
पंडाल के प्रवेश द्वार पर दोनों ओर बनी विशाल हाथों की आकृति लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचेगी.पंडाल परिसर आकर्षक विद्युत से सजाई जाएगी. जिसमें 10 विद्युत तोरण द्वार लगाए गए हैं.
समिति का कहना है कि यह पंडाल न केवल आदिवासी जीवनशैली को प्रदर्शित करता है, बल्कि लोगों को जंगल और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का संदेश भी देगा. श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए मेला और झूलों की विशेष व्यवस्था की गई है. पंडाल का उद्घाटन 20 अक्टूबर की शाम 8 बजे होगा.
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