Ranchi : रांची के मोरहाबादी मैदान में सोमवार को जिले के पड़हा व्यवस्था से जुड़े गांव-टोलों के हजारों लोग जुटे और भव्य करम पूर्व संध्या समारोह का आयोजन रांची जिला पड़हा संगठन द्वारा किया गया. इस मौके पर कल्याण मंत्री चमरा लिंडा, विधायक झिगा सुसारन होरो और प्रो. अभय उरांव समेत कई जनप्रतिनिधि और बुद्धिजीवी मौजूद रहे.
चमरा लिंडा ने कहा कि आदिवासी समाज अपनी परंपरागत धरोहर और वाद्ययंत्रों को भूलता जा रहा है. उन्होंने कहा कि 20 साल पहले मांदर और नगाड़े की गूंज हर गांव में सुनाई देती थी. लेकिन अब यह आवाजें कम हो गई हैं. 10 हजार साल पहले हमारे पुरखों ने यह परंपरा शुरू की थी, जिसे हमें बचाना होगा.
मंत्री ने कहा कि 2026 की जनगणना से पहले केंद्रीय सरना कोड मिलना जरूरी है. उन्होंने चेतावनी दी कि जो समाज अपना इतिहास भूल जाता है, वह मिट जाता है. हमें एकजुट होकर सरना कोड की लड़ाई लड़नी होगी. जनगणना से पहले इसे मान्यता मिलनी चाहिए.
उन्होंने बताया कि पहले पड़हा व्यवस्था लोकसभा, विधानसभा और सुप्रीम कोर्ट जैसी भूमिका निभाता था. अब पेसा कानून से पड़हा व्यवस्था को और शक्ति मिल सकती है.चमरा लिंडा ने जनगणना और परिसीमन को लेकर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि 1951 में झारखंड में 39% आदिवासी थे. 2001 में परिसीमन के कारण सीटें कम हो गईं. यदि समय रहते हम नहीं जागे तो विधानसभा और लोकसभा से आदिवासी समाज का अस्तित्व मिट जाएगा.इस आयोजन के जरिए संदेश दिया गया कि आदिवासी संस्कृति, सरना धर्म और पड़हा व्यवस्था को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाना ही असली लक्ष्य है
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