Ranchi : मारवाड़ी समाज का प्रमुख आध्यात्मिक पर्व श्री राणी सती दादी जी का भादो बदी अमावस्या श्रद्धा और भक्ति भाव से घरों तथा मंदिरों में मनाया गया. इस अवसर पर भक्तों ने दादी जी को परिवार की कुलदेवी मानकर हृदय से नमन किया और घर-घर में दादी जी की ज्योत प्रज्वलित कर पूजा-अर्चना की गई.
पितरों की स्मृति से जुड़ी है दादी जी
झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री सह प्रवक्ता संजय सर्राफ ने बताया कि दादी जी की यह पूजा पितरों की स्मृति से भी जुड़ी हुई है. महिलाएं और पुरुष पारंपरिक रीति से सज-धज कर दादी जी की तस्वीर और मंदिर को फूल, चुनरी और ओढ़नी से अलंकृत कर पूजा में सम्मिलित हुए. पूजा में रोली, मोली, मेहंदी, चावल, काजल, चूड़ी, सिंदूर, नारियल, प्रसाद और दीप अर्पित कर सामूहिक आरती की गई.
स्त्री सम्मान, मातृत्व और त्याग की जीवंत प्रतीक धरोहर है दादी जी
दादी जी के मधुर भजनों से गूंज उठा परिसर. सभी ने उनके चरणों को स्पर्श कर सुख, शांति के लिए कामना किए. इस अवसर पर घरों में महिलाएं परिवार संग आस्था की ज्योत प्रज्वलित की और दादी जी की महिमा का गुणगान किया. राणी सती दादी जी का वास्तविक नाम नारायणी था.
उन्हें नारी शक्ति का प्रतीक और माता दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. दादी जी का मंदिर आज भी स्त्री सम्मान, मातृत्व और त्याग की जीवंत प्रतीक धरोहर है. भक्त विश्वास करते हैं कि दादी जी अपने आराधकों पर सदैव कृपा बरसाती हैं और जीवन में अटूट आस्था का संचार करती हैं.
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