Hazaribagh : हजारीबाग पश्चिमी वन प्रमंडल में फॉरेस्ट क्लीयरेंस (FC) की शर्तों का उल्लंघन कर सड़क मार्ग से कोयला परिवहन के मामले में अब आरोपों का दायरा ऊपरी स्तर तक पहुंच गया है.
ACF अविनाश कुमार द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (RCCF) आरएन मिश्रा पर कई गंभीर अनियमितताओं और कार्रवाई में पक्षपात के आरोप लगाए गए हैं.
ACF के पत्र के अनुसार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा 25 नवंबर 2022 को भेजे गए साइट इंस्पेक्शन रिपोर्ट (पत्रांक 717) में एनटीपीसी द्वारा FC स्टेज-2 (17.09.2010) के शर्त संख्या 9 के उल्लंघन को स्पष्ट रूप से दर्ज किया गया था. इस निरीक्षण में पश्चिमी वन प्रमंडल के तत्कालीन DFO और वर्तमान RCCF आरएन मिश्रा भी शामिल थे.
इसके बावजूद मिश्रा ने न केवल इस आधिकारिक रिपोर्ट को गलत ठहराया बल्कि वरीय अधिकारियों का झूठा हवाला देकर जांच समिति पर एकतरफा कार्रवाई का दबाव बनाया. जबकि वन संरक्षक द्वारा गठित समिति ने भी अपने अंतरिम प्रतिवेदन में शर्तों के उल्लंघन और उससे होने वाले नुकसान की पुष्टि की थी.
जांच समिति से सख्ती, CF पर नरमी!
RCCF मिश्रा की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए है ACF की ओर से आरोप लगाया गया कि CF द्वारा जमा की गई अंतरिम रिपोर्ट को पांच महीने तक बिना किसी कार्रवाई के दबाकर रखा गया और जब RTI के तहत यह रिपोर्ट सार्वजनिक हुई तभी विभाग अचानक सक्रिय हो गया.
पत्र में यह भी सवाल उठाया गया है कि CF से पांच महीने तक रिपोर्ट दबाकर रखने का स्पष्टीकरण क्यों नहीं मांगा गया? जांच समिति को गलत ठहराते हुए, उसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश क्यों की गई जिस पर जांच चल रही थी? क्या यह पक्षपात और मिलीभगत का संकेत नहीं देता?
हजारीबाग में लंबे समय से पदस्थापन- सांठगांठ के आरोप गहरे
ACF अविनाश कुमार के पत्र में मिश्रा पर यह भी आरोप है कि वे हजारीबाग वन्यप्राणी प्रमंडल एवं पश्चिमी वन प्रमंडल में वर्षों से जमे हुए हैं. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के उल्लंघन करवाने में उनकी भूमिका रही.
2010 के FC स्वीकृति आदेश के शर्त 9 के अनुसार वन्य जीव संरक्षण हेतु जो कार्य होने चाहिए थे, वे 2024 तक भी नहीं किए गए. इस लापरवाही के कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ा, फसलों, घरों और मानव जीवन का नुकसान हुआ और विभाग को करोड़ों रुपये मुआवजे में खर्च करने पड़े. पत्र में मिश्रा पर निजी लाभ के लिए पक्षपातपूर्ण रुख अपनाने का भी आरोप लगाया गया है.
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