Dumka : जिले के नगर प्रखंड के सरूआ पंचायत में 7000 लोग निवास करते है. पिछले दो महीने से इस पंचायत के हर घर में कोई ना कोई बीमार है. लेकिन लोग कोरोना का जांच नहीं करवा रहे. लोग नीम-हकीम से अपना इलाज करा रहे है. और दवा के बदले जड़ी- बूटी से ही काम चला रहे है.
गांव को लोगों को हकीमों पर है ज्यादा विश्वास
सरकार लाख दावे कर ले कि गांव तक स्वास्थ्य व्यवस्था पहुंच गयी है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बंया कर रही है. गांव में स्वास्थ्य केंद्र बना तो दिया गया है. लेकिन लोगों को सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर विश्वास बहुत ही कम है. लोगों ने बताया कि गांव में ही उप स्वास्थ्य केंद्र है जिसके वजह से एएनएम हेल्थ वर्कर का आना-जाना लगा रहता है. लेकिन गांव के लोग इनसे ज्यादा आज भी हकीमों पर ही विश्वास करते है.
पिछले 2 महीने में 7 लोगों की हुई मौत
गांव की मुखिया मंजूलता सोरेन ने बताया कि उनके पंचायत में लगभग 7000 लोगों की आबादी है. जहां पिछले 2 महीने में गांव के लगभग हर घर के लोग बीमार हुए. लोगों को टाइफाइड और जोंडिस जैसी गंभीर बीमारी हुई. पर इन्होंने डॉक्टर के बजाय नीम-हकीम से जड़ी-बूटी लेकर अपना इलाज कराया है. पंचायत में 7 लोगों की मौत हो चुकी है. जिसमें सरुवा पंचायत के सरुवा गाँव के 2 लोगों , जोगीडिह गाँव के एक व्यक्ति, विजयपुर गांव के दो व्यक्ति और हिजला गांव के दो व्यक्ति की मौत हुई है.
कैंप लगाने के बाद भी मात्र 70 लोगों ने लिया वैक्सीन
ग्रामीणों ने बताया कि गांव के ही एक व्यक्ति का वैक्सीन लेने के बाद तबीयत खराब हो गई. डॉक्टर से इलाज के बाद भी उसकी मौत हो गयी. जिसके बाद से ग्रामीण डर गए और उन्होंने डॉक्टर के बजाय नीम-हकीम से अपना इलाज कराना बेहतर समझा.लोगों ने बताया कि हिजला गांव में जो 2 लोग मरे उनकी मौत वैक्सीन के पहले डोज लेने के बाद हुई.कोरोना वैक्सीनेशन के लिए गांव में कैंप भी लगाये गये. लेकिन बहुत कम लोगों ने ही वैक्सीन का पहला डोज लिया. 7000 आबादी वाले इस पंचायत के मात्र 70 लोग ने वैक्सीन लगवायी. वहीं वो 70 लोग भी वैक्सीन से बीमार होने के बाद दूसरे डोज से कतरा रहे हैं. साथ ही इन मरने वालों में कुछ युवा भी थे. जिनसे इन लोगों में काफी खौफ पैदा हो गयी है. इसके बाद से ही यह लोग अस्पताल और डॉक्टर से कतरा रहे हैं. और जड़ी बूटी से ही अपना इलाज करा रहे हैं.