NewDelhi : टेप विवाद मामले में नीरा राडिया अब राहत की सांस ले सकती है. खबर है कि सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन(सीबीआई) ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी है कि टेप हुई बातचीत में कोई भी आपराधिक बात सामने नहीं आयी है. सीबीआई ने यह भी कहा कि टेप में शामिल बातचीत को लेकर जारी 14 शुरुआती जाचों को भी अब कोई सबूत ना होने की वजह से बंद कर दिया गया है.
Niira Radia tapes case: CBI informs SC that it has found no criminality in its inquiry initiated against former corporate lobbyist Niira Radia into the contents of the transcripts of tapped conversations between Radia, politicians, lawyers, journalists & industrialists. pic.twitter.com/4aRuiIP0dg
— ANI (@ANI) September 21, 2022
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टेप में कोई भी आपराधिक बात सामने नहीं आयी
जान लें कि एडीशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बेंच को साल 2015 में कोर्ट द्वारा दिये गये जांच के आदेश से जुड़ी रिपोर्ट जमा किये जाने की जानकारी दी. टेप विवाद मामले में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की. एडीशनल सॉलिसिटर जनरल ने SC में बताया कि जांच के दौरान कोई भी आपराधिक बात सामने नहीं आयी है.
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रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में दाखिल कर दी गयी
खबरों के अनुसार जांच के नतीजों से जुड़ी एक रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में दाखिल कर दी गयी है. रिपोर्ट संबंधित विभागों को भी भेज दी गयी है. अब इस मामले पर कोर्ट अगले सप्ताह सुनवाई करेगा. माना जा रहा है कि केंद्रीय एजेंसी अगली सुनवाई से पहले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर सकती है.
चोरी की जांच के चलते राडिया की बातों को इंटरसेप्ट किया था
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अक्टूबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी को जांच के आदेश दिये थे. सीबीआई ने 5 हजार 800 से ज्यादा टेप की गयी चर्चाओं की जांच के बाद 14 मुद्दों की पहचान की थी. जानकारी के अनुसार सरकार ने 2008 -2009 के बीच कर चोरी की जांच के चलते राडिया की बातों को इंटरसेप्ट किया था. इसके बाद CBI ने संभावित अपराधों का पता लगाने के लिए 14 शुरुआती जांचें शुरू की थीं. अब सीबीआई ने कहा कि पर्याप्त सबूत ना होने की वजह से इन सभी जांच बंद कर दी गयी है.
बातचीत को मीडिया में लीक नहीं किया जाना चाहिए
इससे पूर्व सीबीआई ने अपनी शुरुआती जांच के क्रम में रतन टाटा की मालकियत वाली टाटा स्टील, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और यूनीटेक जैसे कई बड़े नामों को शामिल किया था. इस क्रम में कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गयी थीं. उद्योगपति रतन टाटा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि बातचीत को मीडिया में लीक नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) की याचिका में ट्रांसक्रिप्ट्स को सार्वजनिक करने की मांग की गयी थी.
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