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तिरिल आश्रम में याद किये गये बापू, राज्यपाल और सीएम ने अर्पित किया गांधी और शास्त्री को श्रद्धासुमन

Ranchi: गांधी जयंती के मौके पर राज्यपाल रमैश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तिरिल स्थित सर्वोदय आश्रम में राष्ट्रपिता की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि आज देश के दो महान विभूति राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती है. इन दोनों महान विभूतियों ने देश को नई दिशा दी थी. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हम सभी को यह सिखाया है कि अपनी बातें बिना हिंसा के भी कैसे मनवाई जा सकती है.   वहीं भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री ने देश के प्रति सेवा भावना को देशवासियों के अंदर जागृत करने का काम किया था. उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व आतंकवाद के दंश से जूझ रहा है. हिंसा के रास्ते पर चलने वाले लोगों को यह समझने की जरूरत है कि देश हित, समाज हित में हिंसा का कहीं कोई स्थान नही है, बल्कि वर्तमान समय में अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही देश के विकास में भागीदार बनने और मानवीय मूल्यों की रक्षा करने की जरूरत है. इसे भी पढ़ें-स्वास्थ्य">https://lagatar.in/health-ministers-gift-mango-gandhi-maidan-will-be-beautified-at-a-cost-of-1-5-crores/">स्वास्थ्य

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[caption id="attachment_164350" align="aligncenter" width="731"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/10/हेमंत-सोरेन-300x200.jpg"

alt="" width="731" height="487" /> राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते सीएम हेमंत सोरेन[/caption]

महान विभूतियों के विचारों को आगे बढ़ाने की जरूरत- हेमंत सोरेन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज संयोग और सौभाग्य का दिन है कि देश के दो महान विभूति राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती हम सभी लोग मना रहे हैं. इन दोनों महापुरुषों ने देश की आजादी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था. इन महापुरुषों ने देश के लोगों को एक ऐसी दिशा दिखाई जिससे इंसानियत, मानवता एवं लोकतंत्र के मूल्यों को मजबूत बनाया जा सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा हालात में कई बदलाव हुए हैं. आज आवश्यकता है कि ऐसे विभूतियों के विचारों को मजबूती के साथ आगे बढ़ाया जाये.

1928 में गांधीजी ने की थी तिरिल आश्रम की स्थापना

गौरतलब है कि तिरिल आश्रम की स्थापना महात्मा गांधी ने 1928 में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के साथ की थी. तब यह स्वाधीनता सेनानियों का केंद्र था. इसकी ऐतिहासिकता आज की पीढ़ी को झारखंड का देश के स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग को समझने में सहायक होगी. आज भी इस आश्रम में महात्मा गांधी द्वारा उपयोग किया चरखा मौजूद है. तिरिल आश्रम का विशाल प्रांगण और गांधीजी की प्रतिमा आम जनों का स्वागत करती है. इसे भी पढ़ें-इन्वेस्टर्स">https://lagatar.in/investors-sold-investors-meet-left-piece-land-looking-smart-city-rate-should-also-be-low/">इन्वेस्टर्स

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