Ranchi : कुर्मी जाति को एसटी में शामिल नहीं करने की मांग को लेकर आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने सोमवार को राज्यपाल को एक ज्ञापन सौपा. इस प्रतिनिधि मंडल में पूर्व मंत्री गीता श्रीउरांव, मंत्री देव कुमार धान, आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा,ओमप्रकाश माझी हीरालाल मुर्मू, बालकु उरांव, रमेश मुर्मू, जिला परिषद सदस्य सरस्वती बेदिया के द्वारा मांग पत्र सौपी गई.
कहा कि किसी भी कीमत पर कुर्मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं किया जाए,क्योंकि पहले से ही कुर्मी संपन्न एवं समृद्ध समाज के लोग हैं और आर्थिक सामाजिक राजनीति में सबल हैं. देश के गृह मंत्रालय के मार्गदर्शक दर्शन सिद्धांत 18 बिंदु पर अहर्ताएं पूरा नहीं करते हैं.
कुर्मी पेसा कानून का विरोध करते हैं और छत्रपति शिवाजी का प्रतिनिधि
आदिवासी प्रतिनिधियों ने कहा कि टीआरआई से भी उनकी मांग को खारिज कर दिया गया है और कोलकाता हाईकोर्ट ने भी इसे नकारात्मक फैसला सुनाया है.राज्य जातीयता ध्रुवीकरण के लिए एक बड़ी शक्ति काम कर रहा है, क्योंकि कुर्मी समाज के कभी पेसा कानून का विरोध करते हैं तो कभी छत्रपति शिवाजी का प्रतिनिधि बताते हैं. इसलिए कुर्मी समाज को जनजाति सूची की मांग उनके नेताओं द्वारा किया जा रहा है वह गैर संवैधानिक और गैरकानूनी है
Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.
Leave a Comment