करोड़ों के भुगतान और तबादला घोटाले में लिप्त होने के गंभीर आरोप
Ranchi: झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (JEPC) एक बार फिर नियमों के उल्लंघन और चहेते अधिकारियों के संविदा विस्तार को लेकर विवादों में है. ताजा मामला सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रमोद कुमार सिन्हा का है, जिन्हें नियमों को दरकिनार कर दोबारा संविदा विस्तार दे दिया गया है. यही नहीं, उन पर तबादला घोटाला, टेंडर में अनियमितता और विदेश यात्राओं में मनमानी खर्च जैसे गंभीर आरोप भी लगे हैं. इसको लेकर मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव के आलावे शिक्षा मंत्री से भी शिकायत की गयी है.
नियमों की उड़ाई गई धज्जियां
शिकायत के अनुसार, प्रमोद कुमार सिन्हा फरवरी 2022 में सेवानिवृत्त हुए. उन्हें पहले 52वीं कार्यकारिणी की बैठक (दिनांक 05.10.2021) में तीन वर्षों का सेवा विस्तार मिला था. लेकिन अब, 66वीं कार्यकारिणी बैठक (दिनांक 10.10.2024) में बिना वित्त विभाग की सहमति और मुख्यमंत्री की स्वीकृति के फरवरी 2025 से दोबारा दो वर्षों का सेवा विस्तार दे दिया गया. यह स्पष्ट रूप से वित्त विभाग के संकल्प संख्या 928, दिनांक 06.04.2022 (पैरा 8) का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि तीन वर्षों के बाद संविदा विस्तार मुख्यमंत्री की स्वीकृति से ही संभव होगा.
भाई को लाभ पहुंचाने का भी आरोप
प्रमोद कुमार सिन्हा पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने सहोदर भाई आमोद कुमार सिन्हा, जो पलामू में कार्यरत थे, को बिना उपायुक्त की अनुमति और जिला कार्यकारिणी की बैठक के लाखों रुपये का बकाया मानदेय भुगतान करवा दिया. यह झारखंड शिक्षा परियोजना की गाइडलाइन के सीधे विरुद्ध बताया गया है.
तबादलों में धांधली और टेंडर घोटाले के आरोप
प्रमोद सिन्हा स्थानांतरण समिति के सदस्य भी हैं. शिकायत के अनुसार, उन्होंने अपने परिचितों और रिश्तेदारों के मनचाहे तबादले कराए और इसके एवज में राशि वसूली की. इतना ही नहीं, स्कूल बैग और पुस्तक प्रकाशन से जुड़े टेंडरों में भी इनकी संदिग्ध भूमिका बताया गया है.
विदेश यात्राओं पर सवाल
प्रमोद कुमार सिन्हा मानदेय पर कार्यरत एक सेवानिवृत्त अधिकारी होने के बावजूद सरकारी योजनाओं के नाम पर विदेश यात्राएं कर रहे हैं, जिन पर लाखों रुपये का खर्च बताया जा रहा है. शिकायत में इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई है.
प्रमोद कुमार सिन्हा का जवाब
जब प्रमोद कुमार सिन्हा से इस मामले को लेकर संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि मेरी नियुक्ति को लेकर शिकायत की गई है, और यह शिकायत उसी व्यक्ति ने की है जिसकी संविदा पर नियुक्ति नहीं हुई. जिस पद पर मैं कार्यरत हूं, उसके लिए वित्त विभाग की अनुमति आवश्यक नहीं है. जिस दिन परियोजना निदेशक मुझे पद छोड़ने को कहेंगे, मैं तत्काल पद छोड़ दूंगा.
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