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पैथोलॉजिकल जांच में अब रिम्स बनेगा आत्मनिर्भर, हाईकोर्ट की फटकार के बाद 15 दिन में शुरू होगा सेंट्रल लैब का एक्सटेंशन

Ranchi :  राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को अब पैथोलॉजिकल जांच के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. हाईकोर्ट की फटकार के बाद 15 दिनों में ट्रामा सेंटर में सेंट्रल लैब का एक्सटेंशन होने जा रहा है. यह लैब 24 घंटे तीन शिफ्ट में संचालित होगा. जहाँ ब्लड-यूरिन समेत अन्य जांच किए जाएंगे. ट्रामा सेंटर के पहले तल्ले पर कोग्लूमीटर पीटी, 400 की जांच क्षमता वाला बायोकेमेस्ट्री एनालाइजर, हार्मोन जांच के लिए एलिजा रीडर समेत अन्य उपकरणों के इंस्टॉलेशन का काम चल रहा है. इसे भी पढ़ें -पटरी">https://lagatar.in/indian-economy-back-on-track-gdp-jumped-first-time-corona-era-20-decimal-1-percent-growth-first-quarter/">पटरी

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पीपीपी मोड पर संचालित मेडॉल जांच घर के भरोसे रहते है रिम्स के मरीज

वर्तमान में रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीज पैथोलॉजिकल जांच के लिए पीपीपी मोड पर संचालित मेडॉल लैब के भरोसे रहते हैं. रिम्स में इलाजरत 1500 मरीजों में करीब 700-800 मरीज मेडॉल के भरोसे रहते है. जिस कारण मरीजों को जांच के लिए अधिक पैसे चुकाने पड़ते है. मेडॉल लैब की सालाना कमाई 15 से 20 करोड़ रुपए बतायी जाती है. रिम्स में जिस जांच के लिए मरीजों को पैसा खर्च नहीं करना पड़ता, इसके लिए भी मेडॉल लैब में जांच कराने पर मरीजों को पैसे चुकाने पड़ते हैं. रिम्स में नियमित जांच शुरू हो जाने से करोड़ों रुपए राजस्व के रूप में भी मिलेंगे. इसे भी पढ़ें -धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-bjps-gherao-movement-postponed-after-assurance-on-electricity-problem/">धनबाद

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एनजीओ ने रिम्स को दिये हैं उपकरण, चार विभाग मिलकर करेंगे सैंपलों की जांच

रिंम्स में लगाए जा रहे जांच उपकरण किसी एनजीओ के सौजन्य से मिले हैं. इसे चार विभाग- पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, लैब मेडिसिन व बायोकेमेस्ट्री के टेक्निशियन द्वारा संचालित किया जाएगा. ब्लड-यूरीन समेत अन्य जांच पुराने सेंट्रल लैब में ही कलेक्शन किए जाएंगे. कलेक्शन के बाद इसे न्यू ट्रॉमा सेंटर में बन रहे लैब में जांच के लिए भेजा जाएगा. जांच बढ़ाने के लिए भी रिम्स प्रबंधन ने वैकल्पिक व्यवस्था कर रखी है. जितने मशीन इंस्टॉल किए जा रहे हैं सभी की दो-दो मशीने मंगाई गयी है. डॉ. अजय के अनुसार, एक मशीन के बंद रहने पर दूसरे से जांच जारी रहेगी. इसे भी पढ़ें -भारतीय">https://lagatar.in/indian-ambassador-deepak-mittal-meets-taliban-leader-sm-abbas/">भारतीय

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मरीजों के साथ अध्ययन करने वाले छात्रों को मिलेगा लाभ

रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद ने कहा कि जांच 24 घंटे सातों दिन हो यह हमारा लक्ष्य है. इससे स्टूडेंट्स भी सीखेंगे की कैसे जांच की जाती है. रिम्स टीचिंग इंस्टीट्यूशन है. यदि यहां जांच नहीं होगी तो स्टूडेंट्स सीखेंगे कैसे. इससे मरीजों को भी काफी फायदा मिलेगा. भर्ती मरीजों के सैंपलों की जांच 24 घंटे हो सकेगी. कहा गया कि हाईकोर्ट ने 15 सितंबर तक का समय दिया था, इससे पहले ही जांच शुरू हो जाएगी. [wpse_comments_template]    

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