पर लौटी इंडियन इकोनॉमी : कोरोना काल में पहली बार GDP में आयी उछाल, पहली तिमाही में 20.1 फीसदी की वृद्धि
पीपीपी मोड पर संचालित मेडॉल जांच घर के भरोसे रहते है रिम्स के मरीज
वर्तमान में रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीज पैथोलॉजिकल जांच के लिए पीपीपी मोड पर संचालित मेडॉल लैब के भरोसे रहते हैं. रिम्स में इलाजरत 1500 मरीजों में करीब 700-800 मरीज मेडॉल के भरोसे रहते है. जिस कारण मरीजों को जांच के लिए अधिक पैसे चुकाने पड़ते है. मेडॉल लैब की सालाना कमाई 15 से 20 करोड़ रुपए बतायी जाती है. रिम्स में जिस जांच के लिए मरीजों को पैसा खर्च नहीं करना पड़ता, इसके लिए भी मेडॉल लैब में जांच कराने पर मरीजों को पैसे चुकाने पड़ते हैं. रिम्स में नियमित जांच शुरू हो जाने से करोड़ों रुपए राजस्व के रूप में भी मिलेंगे. इसे भी पढ़ें -धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-bjps-gherao-movement-postponed-after-assurance-on-electricity-problem/">धनबाद: बिजली समस्या पर आश्वासन के बाद भाजपा का घेराव आंदोलन स्थगित
एनजीओ ने रिम्स को दिये हैं उपकरण, चार विभाग मिलकर करेंगे सैंपलों की जांच
रिंम्स में लगाए जा रहे जांच उपकरण किसी एनजीओ के सौजन्य से मिले हैं. इसे चार विभाग- पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, लैब मेडिसिन व बायोकेमेस्ट्री के टेक्निशियन द्वारा संचालित किया जाएगा. ब्लड-यूरीन समेत अन्य जांच पुराने सेंट्रल लैब में ही कलेक्शन किए जाएंगे. कलेक्शन के बाद इसे न्यू ट्रॉमा सेंटर में बन रहे लैब में जांच के लिए भेजा जाएगा. जांच बढ़ाने के लिए भी रिम्स प्रबंधन ने वैकल्पिक व्यवस्था कर रखी है. जितने मशीन इंस्टॉल किए जा रहे हैं सभी की दो-दो मशीने मंगाई गयी है. डॉ. अजय के अनुसार, एक मशीन के बंद रहने पर दूसरे से जांच जारी रहेगी. इसे भी पढ़ें -भारतीय">https://lagatar.in/indian-ambassador-deepak-mittal-meets-taliban-leader-sm-abbas/">भारतीयराजदूत दीपक मित्तल ने की तालिबानी नेता एसएम अब्बास से मुलाकात
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