New Delhi : भारतीय रुपया आज बुधवार डॉलर के मुकाबले 27 पैसा टूटा और पहली बार 90.14 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. सोमवार को रुपया 8 पैसे टूटकर 89.53 पर आया था.. मंगलवार की बात करें तो कारोबार खत्म होने तक रुपया 42 पैसे टूटकर 89.95 पर बंद हुआ था. बुधवार को डॉलर 90 के पार चला गया. एक महीने के प्रदर्शन पर नजर डालें तो रुपया 3 नवंबर से लेकर अब तक 90 पैसे टूट चुका है.
जिस प्रकार से डॉलर मजबूत हो रहा है, रुपया कमजोर होता जा रहा है, ऐसे में विश्व व्यापार में भारत टिक नहीं पाएगा।
— Congress (@INCIndia) December 3, 2025
हमारे व्यापारी इस बोझ को सह नहीं पाएंगे, लेकिन दिल्ली की सरकार कोई जवाब नहीं दे रही है।
- नरेंद्र मोदी pic.twitter.com/Vx1TzBvXBf
रुपये की इतनी बड़ी गिरावट पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर लिया है. कांग्रेस ने मोदी का पुराना बयान सोशल मीडिया पर साझा किया है. इसमें मोदी कह रहे हैं कि जिस तरह से डॉलर मजबूत हो रहा है, रुपया कमजोर हो रहा है, ऐसे में भारत वैश्विक व्यापार में टिक नहीं पायेगा. भारत के व्यापारी इस बोझ को सह नहीं पायेंगे, लेकिन दिल्ली में बैठी सरकार(कांग्रेस) कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार RBI ने पिछले कुछ सप्ताहों में रुपये को बचाने के लिए कोई खास कोशिश नहीं की. इसके अलावा विदेशी निवेशक शेयर बाजार से अपना धन निकाल रहे हैं. इन कारणों से रुपया दबाव में है. विदेशी मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां, आयात करने वाले व्यवसायी सहित विदेशी निवेशक भारी मात्रा में डॉलर की खरीदारी कर रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं. इस कारण निवेशकों में डर बैठ गया है. डॉलर की मांग में तेजी आ गयी है. सप्लाई कम हो गयी है. ऐसे में रुपये का संभलना मुश्किल होता जा रहा है. अमेरिका के साथ बड़ा व्यापार समझौता फाइनल होने में देर भी इसका कारण है. रुपये की गिरती सेहत से आम आदमी की जेब पर महंगाई का बोझ और बढ़ जायेगा,क्योंकि आयात महंगा हो जायेगा.
हालांकि मनीकंट्रोल की रिपोर्ट में फिनरेक्स ट्रेजरी के आला अधिकारी अनिल कुमार भंसाली के हवाले से कहा गया है कि आरबीआई बाजार में डॉलर बेचकर रुपये को गिरने से बचा रहा है, लेकिन जब रुपये में थोड़ी मजबूती आयी तो आरबीआई ने खुद डॉलर खरीदे , ताकि बाजार में डॉलर की मांग बनी रहे.
उनके अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है. 8.2% की जीडीपी ग्रोथ हो रही है. उनका तर्क है कि डॉलर की भारी डिमांड के कारण अच्छी बातें दब जा रही है और रुपया कमजोर दिख रहा है. हालात तो अच्छे हैं, लेकिन डॉलर की भूख के कारण परेशानी हो रही है.
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