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रूस ने भारत को शुरू की S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की डिलीवरी, मोदी सरकार ने अमेरिकी धमकी को दरकिनार किया

NewDelhi :  भारत पर अमेरिकी काट्सा प्रतिबंधों के खतरे के बीच रूस द्वारा शक्तिशाली S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की डिलीवरी भारत को शुरू कर दिये जाने की खबर है. रूस के फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल कोऑपरेशन के डायरेक्‍टर दिमित्री शुगाएव ने दुबई एयर शो में इस बात की घोषणा की.  शुगाएव के अनुसार भारत को एस-400 सिस्‍टम की आपूर्ति शुरू कर ही गयी है. बता दें कि  इससे पूर्व अमेरिका ने चेताया था कि अगर भारत इस आधुनिक रूसी डिफेंस सिस्‍टम को लेता है तो उसे काट्सा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. इसे भी पढ़ें : कल्कि">https://lagatar.in/salman-khurshid-said-in-kalki-dham-hindutva-and-isis-are-not-the-same-rather-alike-bjp-weak-in-english/">कल्कि

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 क्या है रूस का S-400 डिफेंस सिस्टम

S-400  एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है. यह दुश्मन के एयरक्राफ्ट को आसमान से गिरा सकता है.  S-400 को रूस का सबसे अडवांस लॉन्ग रेंज सर्फेस-टु-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम करार दिया गया है. सूत्रों के अनुसार यह दुश्मन के क्रूज, एयरक्राफ्ट और बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है. यह सिस्टम रूस के ही S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है. इस मिसाइल सिस्टम को अल्माज-आंते द्वारा तैयार किया गया है,  जो रूस में 2007 के बाद से ही सेवा में है.  यह एक ही राउंड में 36 वार करने में सक्षम है. याद करें कि भारत से पूर्व S-400 मिसाइल डिफेंस तुर्की और चीन की सेना में शामिल हो चुका है। खबर है कि  चीन ने लद्दाख में तनाव को देखते हुए इसे तिब्‍बत में तैनात कर दिया है.  तीन साल पूर्व भारत और रूस ने  2018 में एस-400 की आपूर्ति पर डील पक्की की थी. इस क्रम में उस साल अगस्‍त में रूस की सरकारी हथियार कंपनी रोसोबोरोनएक्‍सपोर्ट के प्रमुख अलेक्‍जेंडर मिखेव ने स्‍पुतनिक न्‍यूज को इंटरव्यू दिया था कि अफ्रीका और पश्चिम एशिया के सात और देश इस डिफेंस सिस्‍टम को लेने के लिए बातचीत कर रहे हैं. इसे भी पढ़ें :  DCW">https://lagatar.in/dcw-chairperson-maliwals-letter-to-the-president-take-back-padma-shri-from-kangana-do-sedition-case-on-her-she-needs-treatment/">DCW

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भारत पर अमेरिकी काट्सा प्रतिबंधों का खतरा  

एस-400 की आपूर्ति के साथ ही अब भारत पर अमेरिकी काट्सा प्रतिबंधों का खतरा छाने लगा है. हालांकि  अमेरिका में यह मांग भी तेज हो रही है कि भारत पर यह बैन न लगाया जा जाये.  अमेरिकी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत की रूसी हथियारों और उपकरणों पर निर्भरता में उल्लेखनीय गिरावट आयी है, लेकिन भारतीय सेना रूसी आपूर्ति वाले उपकरणों के बिना प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकती है. कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि निकट भविष्य में भारत की रूस की हथियार प्रणालियों पर निर्भरता बनी रहेगी. जान लें कि यह  रिपोर्ट बाइडन प्रशासन के उस महत्वपूर्ण फैसले से पहले आयी है जिसमें बाइडन प्रशासन को भारत की रूस से सैन्य हथियार की खरीद को सीमित करना होगा. स्वतंत्र निकाय सीआरएस ने अपनी रिपोर्ट रूसी हथियार बिक्री और रक्षा उद्योग में कहा है कि भारत और उसके बाहर कई विश्लेषकों का निष्कर्ष है कि भारतीय सेना रूसी उपकरणों के बिना प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकती और निकट भविष्य में रूसी हथियार प्रणालियों पर उसकी निर्भरता जारी रहेगी. इसे भी पढ़ें :  गढ़चिरौली">https://lagatar.in/five-top-naxalites-including-naxalite-commander-milind-teltumbde-rewarded-50-lakhs-were-also-killed-in-gadchiroli-encounter/">गढ़चिरौली

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अमेरिका के काट्सा प्रतिबंध का मतलब क्‍या है

सीआरएस ने कहा कि 2016 से चल रही रूस निर्मित वायु रक्षा प्रणाली एस-400 को खरीदने की भारत की योजना पर अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) की धारा 231 के तहत अमेरिकी रोक लग सकती है. इस कानून के तहत अमेरिका अपने सभी सहयोगियों और साझेदारों से, रूस से किसी भी प्रकार के सैन्य लेन-देन को तत्काल रोकने का आग्रह करता है और ऐसा न होने पर इन देशों को अमेरिका द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरोध करने के लिए बनाये गये  दंडात्मक सीएएटीएसए का सामना करना पड़ सकता है.

भारत एस-400 की जगह पर पेट्रियाट खरीदे

अमेरिका चाहता है कि भारत एस-400 की जगह पर उसका एयर डिफेंस सिस्टम पेट्रियाट खरीदे. विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिकी सिस्‍टम एस-400 के सामने कहीं नहीं ठहरता है. यही वजह है कि भारत की मोदी सरकार ने अमेरिका को दो टूक बता दिया था कि वह इस सिस्‍टम को खरीदने से पीछे नहीं हटेगी और रूस के साथ अपनी डील पर आगे बढ़ायेगी. भारत के इस रुख से अब अमेरिकी काट्सा प्रतिबंधों का खतरा मंडराने लगा है. अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन रूस को अमेरिका का सबसे बड़ा शत्रु करार दे चुके हैं और वे तुर्की के एस-400 खरीदने का विरोध कर चुके हैं जो नाटो का सदस्‍य देश है.   [wpse_comments_template]

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