Moscow : भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों रूस के दौरे पर हैं. उन्होंने अमेरिका का नाम लिये बिना यहां कहा कि हम रूस के तेल के सबसे बड़े खरीदार नहीं है. सबसे बड़ा खरीदार चीन है. एस जयशंकर ने यह भी कहा कि हम LNG के भी सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं. वो शायद यूरोप है.
— ANI Digital (@ani_digital) August 21, 2025
EAM Jaishankar calls on Russian President Putin
— ANI Digital (@ani_digital) August 21, 2025
Read @ANI Story | https://t.co/rS2cutnaci#India #EAMJaishankar #Russia #VladimirPutin pic.twitter.com/0nVGBrfGja
External Affairs Minister Dr S Jaishankar tweets, "Pleased to meet FM Sergey Lavrov today in Moscow. Had a detailed discussion on our bilateral ties, including trade, investment, energy, fertilizers, health, skilling & mobility, defense, and people to people exchanges. We… pic.twitter.com/VDVGOEwp3c
— ANI (@ANI) August 21, 2025
उन्होंने कहा कि हम तो बस वही कर रहे हैं जो दुनिया की स्थिरता के लिए ज़रूरी है विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज गुरुवार को मॉस्को में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की. उन्होंने अमेरिका द्वारा रूस से तेल खरीदने पर भारत पर दंडस्वरूप 50 फीसदी टैरिफ लगाये जाने पर सच्चाई सबके सामने रखी.
दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका ने अभी तक चीन पर रूस से तेल खरीद पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है, जबकि वह भारत से भी ज्यादा तेल का आयात रूस से करता है. अमेरिकी ट्रेजरी सचिव ने ट्रंप टैरिफ को इस आधार पर सही करार दिया कि भारत ने युद्ध के बाद रूस से आयात बढ़ाते हुए तेल को दोबारा बेचकर कमाई की.
जयशंकर ने कहा कि भारत अमेरिकी तर्क को कैसे समझे. कहा कि अमेरिका कई वर्षों से कहता रहा है कि भारत विश्व ऊर्जा बाजार को स्थिर करने में मदद करे, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है. जयशंकर ने कहा कि भारत अमेरिका से भी तो तेल खरीदता है.
जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस विश्व के सबसे स्थिर संबंधों वाले देश हैं. दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग, व्यापार और निवेश को बनाये रखने की अहमियत है.कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद तेल आयात में तेजी आयी है. इस कारण अमेरिका को परेशानी हो रही है.
डॉ. एस जयशंकर ने ट्वीट किया, आज मॉस्को में विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिलकर प्रसन्नता हुई. व्यापार, निवेश, ऊर्जा, उर्वरक, स्वास्थ्य, कौशल एवं गतिशीलता, रक्षा और लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तृत चर्चा हुई.
हमने यूक्रेन, यूरोप, ईरान, पश्चिम एशिया, अफ़गानिस्तान और भारतीय उपमहाद्वीप पर विचारों का आदान-प्रदान किया. संयुक्त राष्ट्र, जी-20, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स में हमारे सहयोग के बारे में भी बात की. हमारी बैठक ने इस वर्ष के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन के परिणामों और निर्णयों को तैयार करने में मदद की.
Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.
Leave a Comment