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धनबाद : ईंट – भठ्टे में काम कर परिवार का भरण –पोषण कर रही अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर संगीता

Dhanbad :  यह किसी भी राज्य के लिए बड़ी दुर्भाग्य की बात होगी की उसके राज्य की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी ईंट भट्ठे में काम कर रही है. जिसे अपनी प्रतिभा खेल के मैदान में दिखाना चाहिए. वो सरकार की लापरवाही और असुविधा के कारण ईंट भट्ठे में काम कर अपने परिवार का भरण- पोषण कर रही हैं. धनबाद जिले के रगुणी बांसमुड़ी में रहने वाली संगीता एक अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर हैं. लेकिन सही सुविधा नहीं मिलने के कारण वो दिहाड़ी मजदूरी कर रही हैं. किसी भी राज्य के खिलाड़ी को उस राज्य की सरकार सरकारी मदद, सरकारी नौकरी देती है. लेकिन झारखंड के खिलाड़ियों को सिर्फ आश्वासन ही मिलता है, संगीता को सरकारी मदद,सरकारी नौकरी का आश्वासन दिया गया था. लेकिन आज तक वह आश्वासन पूरा नहीं हुआ है. जिसके कारण संगीता आज ईंट भठ्ठे में तप कर अपने परिवार के लिये दो वक्त की रोजी रोटी का जुगाड़ कर रही है.

संगीता की परिवार का आर्थिक स्थिति काफी खराब

संगीता की परिवार का आर्थिक स्थिति काफी खराब है. पूरा परिवार गरीबी झेल रहा है. इस कोरोना काल में जारी लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी मजदूरी करने वाले संगीत के बड़े भाई को भी कोई काम नहीं मिल रहा है. जिसके कारण परिवार का पूरा बोझ संगीता पर ही आ गया है. पिता दुबे सोरेन की आंख की रोशनी थोड़ी कम हो गई है जिसके कारण उन्हें काम करने में काफी दिक्कत होती है. मां से थोड़ी मदद संगीता को मिल जाती है.

बता दें कि संगीता वर्ष 2018-19 में अंडर 17 में भूटान और थाईलैंड में हुए अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल चैंपियन में खेलकर झारखंड का नाम रौशन किया था. इस चैंपियनशिप में संगीता ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था. संगीता काफी हौसले के साथ आगे बढ़ रही थी लेकिन घर की माली स्थिति के कारण अब उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.फुटबॉलर संगीता सोरेन आज भी अपने देश और राज्य का नाम रौशन करने के लिए रोजाना प्रैक्टिस के लिए 10 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय कर मेमको मोड़ स्थित बिरसा मुंडा स्टेडियम जाती है. जहां तीन से चार घंटे बिना किसी कोच के पसीना बहाकर वापस घर लौट कर फिर से दिहाड़ी मजदूरी में जुट जाती है. ताकि उसकी कमाई के पैसों से उसके घर की आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार हो सके.

राज्य के खिलाड़ी दूसरे राज्य से खेलने पर मजबूर हो जाते है

संगीता सोरेन ने बताया कि परिवार को देखना भी जरूरी है, इसलिए ईंट भट्ठा में दिहाड़ी मजदूरी करती हूं. ताकि किसी तरह घर के परिवार का गुजर बसर हो सके.संगीता ने कहा कि सरकार अगर खिलाड़ियों को मदद करें. तो उनके हौसले बुलंद होंगे और देश के प्रति खेल कर अपने देश का नाम रौशन करेंगे.उन्होंने यह भी कहा कि झारखण्ड में खिलाड़ियों की कमी नहीं है कमी सरकार में है जो खिलाड़ियों पर विशेष ध्यान नहीं देती है. जिसके कारण अपने राज्य के खिलाड़ी दूसरे राज्य से खेलने पर मजबूर हो जाते है.

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