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सरना धर्म कोड: आदिवासियों की धार्मिक पहचान की लड़ाई

Ranchi: लोहरदगा सांसद सुखदेव भगत ने केंद्र सरकार पर आदिवासियों के प्रति घृणा का भाव रखने और उनके मौलिक अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासियों को धार्मिक आधार पर पहचान नहीं देना चाहती है, जबकि पशुओं और बाघों की गणना की जाती है. वे शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे. इसे भी पढ़ें -झारखंड">https://lagatar.in/covid-19-in-jharkhand-health-department-on-alert-mode-regarding-new-variant/">झारखंड

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आदिवासियों की धार्मिक पहचान मिटाने की साजिश
सांसद भगत ने कहा कि जनगणना फॉर्म में अन्य धर्म का कॉलम था, जिसमें 50 लाख लोगों ने सरना धर्म लिखा था. लेकिन इस बार अन्य का कॉलम हटा दिया गया है, जो आदिवासियों के धार्मिक अस्तित्व को मिटाने की साजिश है. उन्होंने कहा कि आदिवासी प्रकृति के पुजारी हैं और उनकी धार्मिक पहचान और आस्था को गौण किया जा रहा है.
कांग्रेस का समर्थन
कांग्रेस विधायक दल के उप नेता राजेश कच्छप ने कहा कि कांग्रेस आदिवासियों के हित में हमेशा से संवेदनशील रही है. उन्होंने कहा कि अगर देश में जातिगत जनगणना होगी तो उसके पूर्व आदिवासियों को अलग सरना धर्म कोड आवंटित किया जाना चाहिए.
भाजपा पर आरोप
सांसद भगत ने भाजपा पर आदिवासियों के विनाश की चाहत रखने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि भाजपा आदिवासियों को आदिवासी नहीं, बल्कि वनवासी कहती है, जो उनकी धार्मिक पहचान को नकारने की कोशिश है.
संघर्ष जारी रहेगा
सांसद भगत ने कहा कि सरना धर्म कोड के लिए संघर्ष जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड बिल पास कर केंद्र के पास भेजा है, लेकिन केंद्र सरकार इसे लागू नहीं करना चाहती है. कांग्रेस सड़क से सदन तक भाजपा नेताओं को बेनकाब करेगी. इसे भी पढ़ें -झारखंड">https://lagatar.in/weather-havoc-in-jharkhand-warning-of-storm-and-torrential-rain/">झारखंड

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