बिल्डकॉन के निदेशक श्याम किशोर गुप्ता की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज
राइट टू रिजेक्ट के अधिकार से जुड़ा है NOTA
फिलहाल चुनाव में NOTA का कोई असर नहीं होता है. नोटा सिर्फ वोटर की नाराजगी जताने के लिए होता है. इसके जरिये वोटर बताते हैं कि उन्होंने किसी को भी वोट नहीं दिया. उन्हें कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं है. दरअसल यह मामला राइट टू रिजेक्ट यानी खारिज करने के अधिकार से जुड़ा है.चुनाव में NOTA का कोई महत्व नहीं होता
चुनाव आयोग ने मतदाताओं को इसीलिए NOTA का विकल्प दिया था. अगर वोटर को कोई भी कैंडिडेट पसंद नहीं है तो वह NOTA का बटन दबाकर अपना मत दे सकता है. हालांकि NOTA का कोई महत्व नहीं होता. सोमवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता की वकील मानेका गुरुस्वामी ने कहा कि अगर 99 फीसदी वोटर NOTA का बटन दबाते हैं, तो भी इसका कोई महत्व नहीं है. क्योंकि बाकी के 1 फीसदी वोटर का मत यह तय करता हैं कि चुनाव कौन सा उम्मीदवार जीतेगा.याचिका में चुनाव रद्द करने की है मांग
याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में मांग की है कि लोगों के वोट का सम्मान होना चाहिए. अगर सबसे ज्यादा मत NOTA को पड़ते हैं, तो उस जगह का चुनाव रद्द होना चाहिए. इस पर चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि अगर ऐसा होता है, तो वह जगह खाली रह जायेगी. फिर संसद या विधानसभा का गठन कैसे होगा. इसके जवाब में गुरुस्वामी ने कहा कि इस हालत में वहां समयबद्ध तरीके से दोबारा चुनाव कराया जा सकता है. ऐसे में वहां सभी उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी सवालों पर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. जवाब आने के बाद सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि NOTA का चुनाव में कोई महत्व होगा या नहीं. सुप्रीम कोर्ट यदि याचिका के पक्ष में फैसला देता है तो चुनाव सुधार में यह एक ऐतिहासिक कदम होगा. इसे भी पढ़ें - ममता">https://lagatar.in/debashree-rai-resigns-from-tmc-may-join-bjp/37779/">ममताकी करीबी देबश्री राय ने TMC को कहा अलविदा, BJP में हो सकती हैं शामिल
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