Ranchi : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को झारखंड के हजारीबाग जिले में कार्यरत एक महिला जज के ट्रांसफर के मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हाईकोर्ट को अपने न्यायिक अधिकारियों के माता-पिता की तरह व्यवहार करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई और के विनोद चंद्रन की पीठ ने एडीजे (एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज) की याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय से कहा कि वह एकल अभिभावक महिला न्यायिक अधिकारी को हजारीबाग में ही रहने दे या उनके बेटे की 12वीं कक्षा की परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए बोकारो ट्रांसफर कर दे.
चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) की याचिका पर संज्ञान लेते हुए कहा कि उच्च न्यायालयों को अपने न्यायिक अधिकारियों की समस्याओं के प्रति सजग रहना होगा.
महिला न्यायिक अधिकारी ने 6 महीने के बाल देखभाल अवकाश के अनुरोध को अस्वीकार किये जाने को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया. बाद में उनका तबादला दुमका कर दिया गया. महिला न्यायिक अधिकारी ने झारखंड हाईकोर्ट से अपील की कि उन्हें हजारीबाग में सेवा जारी रखने दिया जाये या उनका रांची अथवा बोकारो ट्रांसफर कर दिया जाये.
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