Lagatar Desk
सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी गुरूवार को पॉक्सो एक्ट को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यौन उत्पीड़न के मामले में स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट के बिना भी पॉक्सो एक्ट लागू होता है.
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नागपुर बेंच ने कहा था कि स्किन टू स्किन संपर्क के बिना पॉक्सो एक्ट के तहत नहीं आता.
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने यौन उत्पीड़न के एक आरोपी को बरी कर दिया था. और कहा था कि नाबालिग के निजी अंगों को स्किन टू स्किन संपर्क के बिना पॉक्सो एक्ट के तहत नहीं आता. जिसके बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इस फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बदलते हुए कहा कि स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट के बिना भी पॉक्सो एक्ट लागू होता है.
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सेक्सुअल मंशा से शरीर के सेक्सुअल हिस्से का स्पर्श पॉक्सो एक्ट है
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि सेक्सुअल मंशा से शरीर के सेक्सुअल हिस्से का स्पर्श पॉक्सो एक्ट का मामला है. यह नहीं कहा जा सकता कि कपड़े के ऊपर से बच्चे का स्पर्श यौन शोषण नहीं है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने में बॉम्बे हाईकोर्ट से बरी हुए आरोपी को दोषी पाया. साथ ही तीन साल की सजा का भी ऐलान किया है. सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट को परिभाषित करते हुए कहा कि सेक्सुअल मंशा के तहत कपड़ों के साथ भी छूना पॉक्सो एक्ट के तहत आता है. इसमें ‘टच’ शब्द का इस्तेमाल प्राइवेट पार्ट के लिए किया गया है. जबकि फिजिकल कॉन्ट्रेक्ट का मतलब ये नहीं है कि इसके लिए स्किन टू स्किन कॉन्ट्रेक्ट हो.
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