Seraikela : सरायकेला चैंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव मनोज कुमार चौधरी ने कृषि उत्पादों पर दो प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लागू करने को आम जनता और किसान पर बोझ बताया. उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार हित की बात कर रही है और दूसरी तरफ दो प्रतिशत मंडी शुल्क लगाकर किसानों और व्यपारियों को हतोत्साहित करने का काम कर रही है. पिछले दो वर्षों से आम जनता, कृषक और व्यापारी कोविड-19 में अपनी जान की परवाह किए बिना काम कर रहें हैं. ऐसे में अभी पूरी तरह से सभी कोरोना से उबरे भी नहीं थे कि जनता की जेब पर राज्य सरकार ने एक और बोझ डाल दिया.
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पड़ोसी राज्यों में नहीं लागू है किसी भी प्रकार का कर
बाजार समिति शुल्क संबंधित विधेयक पारित होने पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में अनुपयोगी व अनावश्यक मानते हुए जिस बाजार समिति को भंग किया गया था. उसे वापस से वर्तमान सरकार ने विधानसभा में पारित कर दिया है. भारत सरकार के एक देश, एक कर की नीति के तहत जीएसटी लागू किया गया. ऐसे में झारखंड सरकार द्वारा राजस्व का अतिरिक्त बोझ लगाना बिल्कुल न्याय संगत नहीं है. ऐसा किसी भी प्रकार का कर झारखंड के किसी भी पड़ोसी राज्य बंगाल, बिहार, ओड़िसा कहीं भी लागू नही है.
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व्यवसायिक संस्था (FJCCI) को पत्र लिखकर दी आंदोलन की चेतावनी
उन्होंने कहा कि यदि ऐसी कोई भी व्यवस्था सरकार द्वारा लागू की जाती है तो झारखंड राज्य के आमजन मानस एवं कृषि संबंधित उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. झारखंड राज्य में प्रमुख रूप से एक मात्र धान की फसल होती है. इस व्यवस्था के लागू होने से यहां के किसानों को आर्थिक नुकसान होगा व महंगाई भी बढ़ेगी. मालूम हो कि सरायकेला चैंबर ऑफ कॉमर्स ने झारखंड राज्य की सर्वोच्च व्यवसायिक संस्था (FJCCI) को पत्र लिखकर इस नई नीति का विरोध किया. साथ ही भविष्य में वृहद स्तर पर आंदोलन की भी चेतावनी दी.
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