Seraikela : सरायकेला प्रखंड के भूरकुली गांव में गुरुवार को अहले सुबह पारंपरिक तरीके से चड़क पूजा सह पाट संक्रांति मनायी गई. क्षेत्र में प्रसिद्ध इस आध्यात्मिक कार्यक्रम को लेकर गांव में सुबह से ही भक्त पहुंचने लगे. इस दौरान पाट संक्रांति के धार्मिक अनुष्ठान के तहत प्रातः बेला में भोक्ताओं द्वारा मोड़ापाट लाया गया. इसमें व्रती भोक्ता को स्थानीय तालाब में स्नान ध्यान करा कर खाली बदन लोहे की कील की शैय्या पर लिटाकर ग्राम स्थित बाबा विश्वनाथ महादेव मंदिर लाया गया. इस दौरान भक्तों ने स्थानीय भाषा में पाट भोक्ता शिवा बोनी बेल के जयकारे लगाए.
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वर्ष 1908 में शिवलिंग का हुआ था अविर्भाव
इसके बाद भक्त और भोक्ताओं की भक्ति की शक्ति का प्रदर्शन शुरू हुआ. किसी भोक्ता ने लौहे के पतले रॉड को मुंह में आर पार लगाया, तो किसी ने अपनी पीठ की चमड़ी पर लौहे का हुक लगा कर अपनी हठ भक्ति को प्रदर्शित किया. मौके पर शुभ घट, यात्रा घट, गरिया घट, कालिका घट व सती पाट का भी आयोजन किया गया. विदित हो कि वर्ष 1908 में यहां पर शिवलिंग का अविर्भाव हुआ था. इसके बाद से प्रति वर्ष भगवान विश्वनाथ महादेव की भक्ति भावना के साथ पूजा-अर्चना की जाती है.
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