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‘शुभम संदेश’ पड़ताल : स्कूलों में 85 लाख के मैथ व साइंस किट फांक रहे धूल

न लैब की सुविधा, न इस्तेमाल की जानकारी, बक्से में बंद पड़े हैं प्रैक्टिकल के उपकरण कैसे जगेगी गणित और विज्ञान के प्रति नौनिहालों में अभिरूचि Pramod Upadhyay Hazaribagh : हजारीबाग के अधिकांश सरकारी स्कूलों में मैथ व साइंस के किट धूल फांक रहे हैं. हजारीबाग जिले में करीब 370 अपग्रेडेड और 150 मिडिल स्कूल हैं. इनमें 8500-8500 रुपए के मैथ व साइंस किट शोभा की वस्तु बनी हुई है. इस तरह करीब 85 लाख के उपकरणों का उपयोग नहीं किया जा रहा है. स्कूलों में न तो ढंग की लैब की सुविधाएं मौजूद हैं और न उपकरणों के इस्तेमाल का अधिकांश शिक्षकों को ज्ञान है. कई स्कूलों में मैथ व साइंस किट बक्से में बंद कर पड़े हुए हैं. ऐसे में अभिभावकों का भी कहना है कि उनके बच्चों में गणित और विज्ञान के प्रति अभिरूचि कैसे जगेगी. अधिकांश वैसे अपग्रेडेड मिडिल स्कूलों जिसके नए भवन बनाए गए हैं, उनमें साइंस लैब के कमरे भी बनाए गए हैं. शहर के कुछ हाई स्कूलों जैसे जिला स्कूल, हिंदू स्कूल, राजकीय बालिका विद्यालय आदि में साइंस के प्रैक्टिकल कराए जाते हैं. इसे भी पढ़ें :महिला">https://lagatar.in/i-am-not-proud-to-be-a-woman-i-am-ashamed-renu-gopinath/">महिला

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देखरेख के अभाव में खराब हो रहे उपकरण

केस : 1 : इचाक के तिलरा कवातू मिडिल स्कूल में 15 साल पहले साइंस व मैथ किट मिले थे. उस किट का दर्शन स्कूल के नौनिहालों ने आज तक नहीं किया. उचित देखरेख और रखरखाव के अभाव में कई उपकरण खराब भी हो गए. इस स्कूल में मैथ व साइंस के शिक्षक होते हुए भी कभी किट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. साइंस के शिक्षक उमेश प्रजापति कहते हैं कि केमिकल की व्यवस्था नहीं है. अगग से कमरे भी उपलब्ध नहीं हैं. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/07/dddd-2-1-1.jpg"

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कभी-कभी कराया जाता है किट का इस्तेमाल

केस : 2 : इचाक प्रखंड के नावाडीह मिडिल स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक संजय राम ने बताया कि सालभर पहले ब्लॉक स्तर से साइंस व मैथ के किट मिले. सहयोगी शिक्षक राजू की देखरेख में कभी-कभी बच्चों को किट का इस्तेमाल कराया जाता है.

केमिकल और फंड का अभाव

केस : 3 : कटकमसांडी स्थित हाई स्कूल पबरा में भी साइंस व मैथ किट ऐसे ही रखे हुए हैं. वहां के प्रभारी प्रधानाध्यापक डॉ. मो. एजाज कहते हैं कि साइंस व मैथ के शिक्षक मौजूद हैं. केमिकल और फंड का अभाव है. इस कारण किट का इस्तेमाल नहीं करा पाते हैं. लैब के माध्यम से बच्चों को सिर्फ उपकरणों के बारे में जानकारी दी जाती है. इसे भी पढ़ें :171">https://lagatar.in/171-doctors-will-be-appointed-advertisement-came-out/">171

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बच्चों को दी जानी चाहिए किट के इस्तेमाल की जानकारी : उपाध्यक्ष

सदर प्रखंड के चंदवार मिडिल स्कूल में साइंस और मैथ किट होते हुए भी यहां बच्चों को इसके बारे में जानकारी नहीं दी जाती है. स्कूल प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष छोटू पांडेय ने बताया कि बच्चों को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए थी. उनके बच्चे भी इस स्कूल में पढ़ते हैं. लेकिन कभी प्रैक्टिकल नहीं कराया गया है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/07/ddd-3-1.jpg"

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बच्चों को मिलना चाहिए प्रयोग का ज्ञान : उमेश कुमार चौबे

सदर प्रखंड के अभिभावक उमेश कुमार चौबे कहते हैं कि सरकार ने बच्चों में गणित व विज्ञान के प्रति अभिरूचि जगाने के लिए साइंस व मैथ किट दिया है. ऐसे में बच्चों को प्रयोग का ज्ञान दिया जाना चाहिए. अगर किट धूल फांक रहा है, तो यह गलत है. इस पर पदाधिकारियों को निर्देश देना चाहिए.

स्कूलों में शिक्षकों को किया जाएगा जागरूक : बीपीओ

सदर प्रखंड की बीपीओ(प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी) रश्मि सिंह ने बताया कि यह सही बात है कि बच्चों को सिर्फ उपकरण दिखाए जाते हैं, प्रैक्टिकल नहीं के बराबर कराए जाते हैं. उनके स्तर से हमेशा प्रैक्टिकल कराने की बात कही जाती है. आगे भी स्कूलों में शिक्षकों को जागरूक किया जाएगा. साइंस और मैथ किट 85-8500 रुपए में उपलब्ध कराए गए हैं. बाद में स्कूलों को खुद खरीदारी करने को कहा गया है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/07/dse-santosh-gupta-22_637-nnnnnn-1.jpg"

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बीइइओ को करना चाहिए निरीक्षण, खुद भी देखेंगे : डीएसई

डीएसई संतोष गुप्ता कहते हैं कि बीइइओ को निरीक्षण में इन बातों को देखना चाहिए. निश्चित रूप से मैथ व साइंस किट का इस्तेमाल होना चाहिए. वह खुद अपने स्तर से स्कूलों में इसका निरीक्षण करेंगे और शिक्षकों के साथ-साथ विद्यार्थियों को भी मैथ व साइंस में अभिरूचि के प्रति किट के इस्तेमाल के लिए जागरूक करेंगे. [wpse_comments_template]

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