होने पर मुझे गर्व नहीं शर्मिंदगी है: रेणु गोपीनाथ
देखरेख के अभाव में खराब हो रहे उपकरण
केस : 1 : इचाक के तिलरा कवातू मिडिल स्कूल में 15 साल पहले साइंस व मैथ किट मिले थे. उस किट का दर्शन स्कूल के नौनिहालों ने आज तक नहीं किया. उचित देखरेख और रखरखाव के अभाव में कई उपकरण खराब भी हो गए. इस स्कूल में मैथ व साइंस के शिक्षक होते हुए भी कभी किट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. साइंस के शिक्षक उमेश प्रजापति कहते हैं कि केमिकल की व्यवस्था नहीं है. अगग से कमरे भी उपलब्ध नहीं हैं.alt="" width="600" height="400" />
कभी-कभी कराया जाता है किट का इस्तेमाल
केस : 2 : इचाक प्रखंड के नावाडीह मिडिल स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक संजय राम ने बताया कि सालभर पहले ब्लॉक स्तर से साइंस व मैथ के किट मिले. सहयोगी शिक्षक राजू की देखरेख में कभी-कभी बच्चों को किट का इस्तेमाल कराया जाता है.केमिकल और फंड का अभाव
केस : 3 : कटकमसांडी स्थित हाई स्कूल पबरा में भी साइंस व मैथ किट ऐसे ही रखे हुए हैं. वहां के प्रभारी प्रधानाध्यापक डॉ. मो. एजाज कहते हैं कि साइंस व मैथ के शिक्षक मौजूद हैं. केमिकल और फंड का अभाव है. इस कारण किट का इस्तेमाल नहीं करा पाते हैं. लैब के माध्यम से बच्चों को सिर्फ उपकरणों के बारे में जानकारी दी जाती है. इसे भी पढ़ें :171">https://lagatar.in/171-doctors-will-be-appointed-advertisement-came-out/">171चिकित्सकों की होगी नियुक्ति, निकला विज्ञापन
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बच्चों को दी जानी चाहिए किट के इस्तेमाल की जानकारी : उपाध्यक्ष
सदर प्रखंड के चंदवार मिडिल स्कूल में साइंस और मैथ किट होते हुए भी यहां बच्चों को इसके बारे में जानकारी नहीं दी जाती है. स्कूल प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष छोटू पांडेय ने बताया कि बच्चों को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए थी. उनके बच्चे भी इस स्कूल में पढ़ते हैं. लेकिन कभी प्रैक्टिकल नहीं कराया गया है.alt="" width="600" height="400" />
बच्चों को मिलना चाहिए प्रयोग का ज्ञान : उमेश कुमार चौबे
सदर प्रखंड के अभिभावक उमेश कुमार चौबे कहते हैं कि सरकार ने बच्चों में गणित व विज्ञान के प्रति अभिरूचि जगाने के लिए साइंस व मैथ किट दिया है. ऐसे में बच्चों को प्रयोग का ज्ञान दिया जाना चाहिए. अगर किट धूल फांक रहा है, तो यह गलत है. इस पर पदाधिकारियों को निर्देश देना चाहिए.स्कूलों में शिक्षकों को किया जाएगा जागरूक : बीपीओ
सदर प्रखंड की बीपीओ(प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी) रश्मि सिंह ने बताया कि यह सही बात है कि बच्चों को सिर्फ उपकरण दिखाए जाते हैं, प्रैक्टिकल नहीं के बराबर कराए जाते हैं. उनके स्तर से हमेशा प्रैक्टिकल कराने की बात कही जाती है. आगे भी स्कूलों में शिक्षकों को जागरूक किया जाएगा. साइंस और मैथ किट 85-8500 रुपए में उपलब्ध कराए गए हैं. बाद में स्कूलों को खुद खरीदारी करने को कहा गया है.alt="" width="600" height="400" />
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