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झारखंड में डाकिया योजना के लिए होगा सोशल ऑडिट, विभाग ने दी हरी झंडी

Ranchi: झारखंड में विलुप्त होने के कगार पर पहुंचे आदिम जनजाति समुदाय को घर बैठे अनाज (चावल) पहुंचाने की प्रक्रिया का होगा सोशल ऑडिट. इसके लिए खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले के विभाग ने हरी झंडी दे दी है. आदिम जनजाति आबादी को पूरी तरह से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कराने के लिए झारखंड सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना है. विभाग ने जनजातीय खाद्यान्न योजना का सामाजिक अंकेक्षण कराने का निर्णय लिया है. वहीं, इस संबंध में विभागीय सचिव हिमानी पांडे ने सामाजिक अंकेक्षण की कानूनी अनिवार्यता का महत्व ध्यान में रखते हुए सोशल ऑडिट टीम के सहयोग देने और उन्हें दस्तावेज समय पर उपलब्ध कराने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. प्रस्तावित सोशल ऑडिट में 22 अक्टूबर से 20 नवंबर तक क्षेत्र स्तर पर तथ्यों का सत्यापन पूर्ण करने और 22 दिसंबर तक सभी स्तर पर सुनवाई संपन्न करने की योजना है. इसे भी पढ़ें- अजय">https://lagatar.in/dispute-of-ajay-marus-city-mall-49-5-katthas-were-done-in-place-of-49-5-decimals-of-land-registry-and-jamabandi/">अजय

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73,386 आदिम जनजाति परिवार को मिल रहा है डाकिया योजना का लाभ

डाकिया योजना हेमंत सरकार ने जारी रखी है. वर्तमान में पूरे राज्य में आदिम जनजातियों की जनसंख्या 2.92 लाख है. राज्य में आदिम जनजातियों की स्थिति, अनाज की व्यवस्था, सरकारी योजनाओं से मिल रहा लाभ आदि बातों पर ध्यान में रख पूर्व सरकार ने वर्ष 2017 में योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के कुल लाभुक 73,386 हैं, जो कि वर्ष 2017 की संख्या के बराबर ही है.

क्या है डाकिया योजना

विशिष्ट जनजातियों का खाद्यान्न सुरक्षा योजना के (डाकिया योजना) के तहत  चयनित आदिम जनजातियों समुदायों के घर तक, बंद बोरी में नि:शुल्क 35 किलोग्राम चावल पहुंचाया जाना है. इसे भी पढ़ें- गांधी">https://lagatar.in/rahul-attack-modi-government-on-gandhi-jayanti-posted-video-only-one-satyagrahi-is-enough-for-victory/">गांधी

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डाकिया योजना को लेकर मिलती रही है शिकायत

कई स्थानों पर लाभुकों को 35 किलो चावल के स्थान पर 30 किलो अनाज दिये जाने का मामला भी सामने आया है. वहीं, दो माह में एक बार अनाज मिलने की का मामला भी सामने आ चुका है.

2.92 लाख हैं आदिम जनजाति

राज्य में 32 जनजातियां हैं, जिनमें आठ जनजातियों को आदिम जनजाति ग्रुप्स (पीवीटीजी) यानी रखा गया है, जो विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं. इनमें असुर, बिरहोर, बिरजिया, कोरबा, परहिया (बैगा), सबर, माल  पहाड़िया  और  सौरिया पहाड़िया शामिल हैं. राज्य में कुल आबादी का 27.67 फीसदी हिस्सा जनजातियों का है. 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में आदिम जनजातियों की संख्या 2,92,395 है.

किस जिले में कितने परिवार को मिलता है डाकिया योजना का लाभ

  • जिला          लाभुकों की संख्या
  • हजारीबाग             741
  • सरायकेला            630
  • लोहरदगा             616
  • कोडरमा             394
  • रांची                   323
  • प. सिंहभूम          275
  • सिमडेगा             252
  • रामगढ़              222
  • गिरिडीह            181
  • बोकारो              127
  • धनबाद               44
  • खूंटी                  16
  • साहिबगंज       11,982
  • पाकुड़            11,770
  • गढ़वा             8,670
  • गोड्डा              7,940
  • दुमका           7,221
  • पू. सिंहभूम     5,162
  • लातेहार        4,049
  • पलामू          4,020
  • गुमला         3,391
  • देवघर         2,893
  • चतरा         1,524
  • जामताड़ा     943
 

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