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सारंडा में एक करोड़ के इनामी नक्सली किशन दा के रहने और उपचार की थी विशेष व्यवस्था

[caption id="attachment_184269" align="aligncenter" width="288"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/11/kishan-2-288x300.jpg"

alt="" width="288" height="300" /> गोइलकेरा के बोरोई कैंप से बरामद प्रशांत बोस की वर्दी. फाइल तस्वीर.[/caption] Kiriburu : एक करोड़ के इनामी भाकपा माओवादी संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा को गंभीर बीमारी की अवस्था में पकड़ने में पुलिस कामयाब रही. इससे पहले बढ़ती उम्र की कई बीमारियों से जूझ रहे किशन दा ने सारंडा को अपनी शरणस्थली और स्वास्थ्य उपचार का ठिकाना बना रखा था. गोइलकेरा में अप्रैल 2018 में हुई मुठभेड़ में यह बात सामने आई कि अन्य नक्सलियों की तरह ही किशन दा भी हरे रंग की आर्मी की तरह वर्दी पहनता था, लेकिन उसकी वर्दी और टोपी पर लाल रंग का स्टार लगा होता था. यह स्टार संगठन के उच्च पदाधिकारियों की वर्दी पर ही लगाने की इजाजत होती है. पुलिस ने गोइलकेरा थाना अंतर्गत कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र के जंगल स्थित जिस बोरोई पहाड़ी पर स्थित प्रशांत बोस के स्थायी कैंप को ध्वस्त किया था, वहां से यह वर्दी भी मिली थी जिसको लेकर पुलिस यह दावा कर रही थी की यह वर्दी प्रशांत बोस पहनता था. इसे भी पढ़ें : BREAKING">https://lagatar.in/breaking-top-naxal-leader-kishan-da-chauka-arrested-along-with-wife-in-rs-1-crore-prize/">BREAKING

: एक करोड़ के इनामी शीर्ष नक्सली नेता किशन दा चौका के पास पत्नी सहित गिरफ्तार
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alt="" width="300" height="263" /> नहाने के लिए बनाए गए छोटे तालाब की फाइल तस्वीर.[/caption]

विशेष प्रशिक्षित नक्सली ही करते थे किशन दा का ईलाज

ऊंची पहाड़ी पर स्थित नक्सलियों के इस कैंप में प्रशांत बोस के स्नान करने हेतु पत्थरों से घेर कर छोटा सा विशेष तालाब बनाया गया था, जहां सोलर बैट्री चालित मोटर के सहारे पाईप द्वारा पानी पहुंचाया जाता था. पहाड़ी पर स्थित एक गुफा था जिसमें वह सोते थे. प्रशांत बोस का ईलाज विशेष रूप से प्रशिक्षित नक्सली ही किया करते थे. इसके लिये शुगर व रक्त चाप जांचने की अलग-अलग मशीन व जरूरी दवाइयां, गर्म पानी आदि दिया जाता था. कोई नक्सली पुलिस मुठभेड़ के दौरान अगर घायल हो जाये तो उन्हें तुरंत इलाज उपलब्ध कराने तथा शरीर से गोली निकालने के लिए ऑपरेशन थियेटर में डॉक्टरों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला विशेष प्रकार का औजार साथ में होता था. इसके अलावे सभी प्रकार की जीवन रक्षक दवाइयां भी होतीं. प्रशांत बोस के आसपास मचान रूपी बेड भी नक्सलियों के रैंक के अनुसार लगता था. यहां पुलिस के खिलाफ तमाम प्रकार की रणनीति बनाई जाती एवं उसी अनुसार कार्य की जिम्मेदारी दी जाती थी. प्रशांत बोस की पत्नी शीला मरांडी नक्सलियों के लिये कितनी अहम व शक्तिशाली थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उसे ओड़िशा पुलिस गिरफ्तार कर राउरकेला जेल में रखा था, तब उसे झारखंड पुलिस चाईबासा जेल ला रही थी उसी दौरान निर्भय, अनमोल, संदीप आदि के दस्ते ने जराईकेला, मनोहरपुर, छोटानागरा एवं गोइलकेरा थाना पर लगातार हमला कर दोनों राज्यों की पुलिस के बीच खलबली मचा दी थी. इसे भी पढ़ें : EXCLUSIVE">https://lagatar.in/exclusive-why-was-it-difficult-to-catch-kishan-da-a-rs-1-crore-prize-naxalite-how-did-goelkera-escape-in-2018/">EXCLUSIVE

: एक करोड़ के इनामी नक्सली किशन दा को पकड़ना क्यों था मुश्किल, 2018 में गोइलकेरा से कैसे बच निकले?
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