NewDelhi : तमिलनाडु के दक्षिणपूर्व में स्थित समंदर में मौजूद रामसेतु के लेकर भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार को सुनवाई हुई. जान लें कि स्वामी ने SC में गुहार लगाई है कि वह केंद्र सरकार को रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने का आदेश दे. सुनवाई के क्रम में सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि पिछले आठ साल से मोदी सरकार ने इस संबंध में कोर्ट में एक भी हलफनामा दायर नहीं किया है. इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने सरकार को आदेश जारी किया कि वह जवाब दाखिल करे और इसकी एक कॉपी स्वामी को भी दे.
Today in SC before Justice Chandrachud I made a brief submission on Ram Setu Heritage issue stating for last 8 years Modi govt has not filed an affidavit in Court on whether or not Govt will declare Ram Setu as a Heritage. Court asked Govt adv to explain and to file affidavit.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) October 13, 2022
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सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा था कि केंद्र सरकार अपना रुख साफ नहीं कर रही है
बता दें कि केंद्र सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान कोर्ट में पेश हुई थीं. बेंच ने कहा कि सुब्रमण्यन स्वामी लिखित में अपना पक्ष रख सकते हैं. इसके बाद सुनवाई टाल दी गयी. पिछली सुनवाई में सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा था कि केंद्र सरकार अपना रुख साफ नहीं कर रही है. भारत सरकार को हलफनामा देकर बताना चाहिए कि वह फैसला कब करेगी. यह लगातार चलता ही जा रहा है. उन्हें जवाब देना चाहिए. अगर वे इसका विरोध कर रहे हैं तब भी अपनी बात रखनी चाहिए. अगर सरकार कुछ नहीं कहती तो इसका मतलब है कि वह भी रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने के पक्ष में है.
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स्वामी ने 2007 में सेतु समुद्रम शिप चैनल के विरोध में यह मुद्दा उठाया था
लगभग 15 साल पहले स्वामी ने 2007 में सेतु समुद्रम शिप चैनल के विरोध में यह मुद्दा उठाया था. खबरों के अनुसार सेतु समुद्रम प्रोजक्ट के तहत मन्नार और पाल्क स्ट्रेट के बीच 83 किलोमीटर लंबा चैनल बनाया जाना था. दावा है कि इस प्रोजेक्ट से रामसेतु को नुकसान होगा. इस मामले का जिक्र स्वामी कई सार्वजिनक मंचों पर भी कर चुके हैं. कोर्ट में इस मामले में सुनवाई 17 अगस्त को भी हुई थी.तमिलनाडु के दक्षिणपूर्व में समंदर में लाइमस्टोन की एक सेतु जैसी संरचना है जिसे रामसेतु माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि यह वही पुल है जो कि श्रीराम की वानर सेना ने लंका जाने के लिए बनाया था. रामायण में भी इस सेतु का जिक्र किया गया है. यह सेतु रामेश्वरम के पास पामबन द्वीप से श्रीलंका के मन्नार तक है.
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