Ranchi : देश के बहुत ही पिछड़े जनजातीय इलाकों (पीवीटीजी) के विकास को लेकर नीति आयोग की ओर से “सुपर 60” नाम का सेमिनार हुआ. इसमें झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और ओडिशा के अधिकारी शामिल हुए.
हर घर तक योजना पहुंचाने पर जोर
नीति आयोग की सचिव रंजना चोपड़ा ने कहा कि अब हर पीवीटीजी परिवार तक सरकारी योजनाएं पहुंचाना जरूरी है. जिन गांवों में सड़क नहीं है, वहां मनरेगा और प्रधानमंत्री सड़क योजना से सड़क बनाई जाएगी ताकि लोगों को रोजगार भी मिले.
उन्होंने बताया कि हर घर नल योजना, बिजली, और सड़क जैसे काम कई जगह पूरे हो चुके हैं. अब 100 से ज्यादा आबादी वाले टोला या गांव में आंगनबाड़ी केंद्र और महिलाओं के लिए क्रेच (बच्चों की देखभाल केंद्र) खोले जाएंगे. झारखंड को निर्देश दिया गया है कि वह पीवीटीजी इलाकों का पूरा डेटा तैयार करे, ताकि योजनाएं सही तरीके से लागू हो सकें.
विकास और आत्मनिर्भरता पर ध्यान
नीति आयोग के अधिकारी रोहित कुमार ने कहा कि पीवीटीजी योजना से आदिम जनजातियों को शिक्षा, रोजगार और विकास के मौके मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत तभी “विकसित देश” बनेगा जब ये समुदाय भी आगे बढ़ेंगे.
झारखंड का अच्छा काम
झारखंड के योजना सचिव मुकेश कुमार ने बताया कि कठिन इलाकों के बावजूद राज्य में सड़क, बिजली, पानी, घर और शिक्षा जैसी योजनाएं तेजी से चल रही हैं. उन्होंने कहा कि डाकिया योजना से अब सरकारी सेवाएं और जरूरी सामान सीधा लोगों के घर तक पहुंच रहे हैं.
महिलाओं के लिए “दीदी की दुकान” बनी मिसाल
झारखंड सरकार ने बताया कि महिलाओं द्वारा चलाई जा रही 1276 “दीदी की दुकानें” अब गांवों में बड़ा बदलाव ला रही हैं. 386 गांवों में पहली बार दुकानें खुलने से लोगों को दूर बाजार नहीं जाना पड़ता. हर दुकान से महिलाओं की औसतन ₹9,100 महीने की कमाई हो रही है.
इसके अलावा 113 “दीदी के ढाबे” भी खुले हैं, जिनसे गांवों में रोजगार बढ़ा है. इस सेमिनार में पद्मश्री मधु मंसूरी, जमुना टुडू, सिमन उरांव, जागेश्वर यादव, कमी मुर्मू और नीति आयोग व झारखंड सरकार के कई अधिकारी शामिल हुए.




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