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बेल के बावजूद जेल से रिहा नहीं करने पर जेल अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

Ranchi: सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने के बावजूद अभियुक्त को जेल से रिहा नहीं करने के मामले में गाजियाबाद जेल अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. साथ ही कारा महानिरीक्षक को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के सहारे हाजिर रहने का निर्देश दिया है. 


न्यायाधीश के.वी विश्वनाथन और न्यायाधीश एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने यह कार्रवाई आफताब द्वारा दायर याचिका के आलोक में की है. कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. साथ ही दोनों पक्षों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है और सुनवाई के लिए 25 जून की तिथि निर्धारित की है.


आफताब की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह कहा गया था कि न्यायालय द्वारा जमानत दिये जाने के बावजूद गाजियाबाद जेल के अधिकारी उसे जेल से रिहा नहीं कर रहे हैं. इसके लिए जेल अधिकारियों की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि अभियुक्त के विरूद्ध जिन धाराओं, उपधाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. 


जमानत के आदेश में उसमें से एक उपधारा का उल्लेख नहीं किया गया है. न्यायाधीश के.वी विश्वनाथन और न्यायाधीश पीठ ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और याचिका में लिखी बातों के सही पाये जाने पर जेल अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाही शुरू करने की चेतावनी दी है. न्यायालय ने याचिकादातों को भी चेतावनी देते हुए यह बात कही है कि अगर उसकी बातें गलत साबित हुईं तो उसे दी गयी जमानत रद्द कर दी जायेगी.


उल्लेखनीय है कि अभियुक्त के खिलाफ Prohibition of unlawful conversion of religion act 2021 की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. सुप्रीम कोर्ट ने आफताब की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद 29 अप्रैल 2025 को उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. 


सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में मुकदमे में लंबित रहने तक अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. इसके आलोक में गाजियाबाद के सत्र न्यायाधीश ने अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया था. लेकिन अभियुक्त को गाजियाबाद जेल से रिहा नहीं किया गया.

 

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