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बेल के बावजूद जेल से रिहा नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा व न्यायिक जांच का आदेश दिया

Ranchi: सुप्रीम कोर्ट ने बेल के बावजूद आफताब को जेल से रिहा नहीं करने के मामले में पांच लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. उत्तर प्रदेश सरकार मुआवजे की यह रकम आफताब को देगी. साथ ही प्रधान जिला जज को इस मामले में न्यायिक जांच का आदेश दिया है. न्यायाधीश के.वी. विश्वनाथम और न्यायाधीश कोटेश्वर सिंह की पीठ ने 25 जून को यह आदेश दिया.


उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आफताब के खिलाफ Prohibition of unlawful conversion of religion act 2021 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. आफताब की जमानत याचिका की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल 2025 को उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. 


इस आदेश के आलोक में गाजियाबाद सत्र न्यायाधीश की अदालत ने उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. लेकिन गाजियाबाद जेल प्रशासन ने जेल से यह कहते हुए रिहा नहीं किया कि आदेश में एक उपधारा का उल्लेख नहीं है. बेल के बावजूद जेल से रिहा नहीं करने की वजह से आफताब की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 24 जून को एक याचिका दायर की गयी थी. 


मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधीक्षक को खुद हाजिर होने और कारा महानिरीक्षक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के सहारे हाजिर होने का निर्देश दिया. न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए 25 जून की तिथि निर्धारित की थी. 
साथ ही यह चेतावनी भी दी थी कि अगर जेल से रिहा नहीं करने की बात और कारण सही पाया गया तो जेल प्रशासन के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी. अगर याचिका में वर्णित तथ्य गलत हुए तो अभियुक्त को दी गयी जमानत रद्द कर दी जायेगी.


निर्धारित समय पर 25 जून को मामले में सुनवाई हुई. इसमें पाया गया कि जमानत देने के बावजूद 28 दिनों से जेल प्रशासन ने अभियुक्त को रिहा नहीं किया. न्यायालय ने बेल के बावजूद जेल से रिहा नहीं करने पर नाराजगी जतायी.  साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को यह आदेश दिया कि वह अभियुक्त को पांच लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा दे.

कारा महानिरीक्षक की ओर से न्यायालय को जेल प्रशासन के खिलाफ जांच और विभागीय कार्यवाही करने की जानकारी दी गयी. हालांकि न्यायालय ने इस मामले में न्यायिक जांच का आदेश दिया. न्यायिक जांच की जिम्मेदारी गाजियाबाद के प्रधान जिला जज को दी.

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