Ranchi: विधानसभा नियुक्ति घोटाले में सीबीआई की याचिका पर 18 नवंबर को सुनवाई होगी. मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की पीठ में इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा की याचिका पर सुनवाई के दौरान सीबीआई जांच के आदेश पर रोक लगा दी थी. सीबीआई ने इस रोक को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
झारखंड विधानसभा में हुई नियुक्तियों के दौरान अनियमितता का मामला प्रकाश में आने के बाद मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की गयी थी. क्योंकि विधानसभा ने एक सदस्यीय न्यायिक आयोग की अनुशंसा और तत्कालीन राज्यपाल(वर्तमान राष्ट्रपति) ने भी विधानसभा अध्यक्ष को सीबीआई जांच कराने का निर्देश दिया था.
लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन कर दिया. इस आयोग के गठन का उद्देश्य यह बताया गया कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की अनुशंसाओं के आलोक में कार्रवाई करने के दौरान आने वाली कानूनी परेशानियों का हल निकालने के लिए जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग का गठन किया गया है.
लेकिन जस्टिस मुखोपाध्याय आयोग ने अपनी रिपोर्ट में विक्रमादित्य आयोग की सारी अनुशंसाओं को ख़ारिज कर दिया. साथ ही विधानसभा के तत्कालीन दोनों अध्यक्षों के खिलाफ की गयी कार्रवाई की अनुशंसा को ख़ारिज कर दिया. तत्कालीन अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के कार्यकाल में विधानसभा में 274 पदों पर हुई नियुक्तियों में अनियमितता पायी गयी थी.
इसके अलावा आलमगीर आलम के कार्यकाल में 324 पदों पर हुई नियुक्तियों के दौरान भी बड़े पैमाने पर अनियमितता पायी गयी थी. विक्रमादित्य आयोग ने इसके लिए तत्कालीन दोनों अध्यक्षों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी. लेकिन जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग ने इसे यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि यह बिंदु विक्रमादित्य आयोग की कार्यसूची में शामिल नहीं था. इसलिए इसे अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए.
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