Patna : बिहार में जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें यह कहा गया था कि बिना जमाबंदी और होल्डिंग नंबर के जमीन की खरीद-बिक्री या दान नहीं हो सकता है.
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के 10 अक्टूबर 2019 को निबंधन नियमावली के नियम 19 में किए गए संशोधन को भी रद्द कर दिया. इस संशोधन के तहत यह प्रावधान था कि किसी भी संपत्ति की बिक्री या दान का रजिस्ट्रेशन तभी होगा, जब संबंधित भूमि के नाम पर जमाबंदी या होल्डिंग दर्ज हो.
जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने समीउल्लाह की ओर से दायर एसएलपी (सिविल) पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है. आवेदक की ओर से दलील दी गई थी कि राज्य सरकार का यह संशोधन आम लोगों के अधिकारों में बाधा डालता है और भूमि लेन-देन की प्रक्रिया को अत्यधिक जटिल बना देता है.
इससे पहले, पटना हाईकोर्ट ने 9 अक्टूबर 2019 के संशोधन को सही ठहराते हुए सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं. इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही 13 मई 2024 को इस संशोधन पर अंतरिम रोक लगा दी थी और कहा था कि संशोधन की तारीख के बाद हुए सभी रजिस्ट्रेशन, अंतिम निर्णय पर निर्भर रहेंगे.
अदालत ने स्पष्ट किया कि रजिस्ट्री कार्यालय का दायित्व केवल दस्तावेजों का पंजीकरण है, जबकि भूमि की स्वामित्व या वैधता तय करने का अधिकार सिविल कोर्ट के पास है. इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने विधि आयोग (Law Commission) को निर्देश दिया है कि वह इस मुद्दे की विस्तृत जांच करे और केंद्र व राज्य सरकारों तथा आईटी विशेषज्ञों से परामर्श लेकर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करे.
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