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चंपाई पर सुप्रियो का तंज: जो कभी अस्मिता के प्रतीक थे, अब खुद के विचारों से विरोधाभास में

Ranchi: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने घाटशिला उपचुनाव को लेकर भाजपा पर तीखा प्रहार किया है. उन्होंने कहा कि भाजपा नेता चंपाई सोरेन की प्रेस वार्ता में उनकी हताशा साफ झलक रही थी, क्योंकि घाटशिला की जनता एक बार फिर झामुमो पर विश्वास जताने जा रही है. भट्टाचार्य ने दावा किया कि 14 नवंबर को झामुमो को भारी जनसमर्थन मिलेगा और पार्टी ऐतिहासिक जीत दर्ज करेगी.

 

रांची में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान भट्टाचार्य ने कहा कि घाटशिला विधानसभा की जनता ने विकास और अस्मिता की राजनीति को प्राथमिकता दी है. इस उपचुनाव में मतदाता झारखंड की पहचान, आदिवासी सम्मान और क्षेत्र के भविष्य को लेकर मतदान करेंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा इस बार भी जनता के मूड को समझ नहीं पाई है.

 

भट्टाचार्य ने कहा कि घाटशिला की जनता शिबू सोरेन और रामदास सोरेन जैसे आंदोलनकारी नेताओं को श्रद्धांजलि स्वरूप झामुमो के पक्ष में मतदान करेगी. उन्होंने बताया कि झामुमो सरकार ने इस क्षेत्र के विकास के लिए कई ठोस पहल की है, जिसमें जनजातीय विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज और आरडीटीआई-पॉलीटेक्निक की स्थापना शामिल है. माइनिंग क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए यहां माइनिंग इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने की भी योजना है.

 

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार के कार्यकाल में घाटशिला का एचसीएल कारखाना बंद हो गया, जिससे लाखों लोग बेरोजगार हुए. झामुमो ने वादा किया है कि सरकार बनने पर बंद पड़ी खदानों और कारखानों को दोबारा चालू कराया जाएगा.

 

भाषाई और सामाजिक मुद्दों पर हमला बोलते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा घाटशिला और आसपास के इलाकों में बांगला भाषियों को बाहरी बताकर सांप्रदायिक राजनीति कर रही है. उन्होंने कहा कि भाजपा बंगला भाषियों को मुसलमानों से जोड़कर समाज में विभाजन फैलाने की कोशिश कर रही है, लेकिन जनता इस बार ऐसे नफरती एजेंडे को पूरी तरह नकार देगी.

 

भाजपा प्रत्याशी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह बाहरी हैं, जबकि झामुमो के उम्मीदवार रामदास सोरेन स्थानीय खतियानी निवासी हैं और जनता के बीच गहरी पैठ रखते हैं.

 

चंपाई सोरेन पर टिप्पणी करते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि जो कभी झारखंडी अस्मिता के प्रतीक थे, वे अब अपने ही विचारों से विरोधाभास में हैं. उन्होंने कहा कि केवल कुछ महीनों में ऐसा क्या बदल गया कि वे झारखंड की मान्यताओं से मुंह मोड़ बैठे. भट्टाचार्य ने तंज कसते हुए कहा कि अब चंपाई इतने विचलित हैं कि सम्मान और अपमान में भी फर्क नहीं कर पा रहे हैं.

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