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माइक्रो फिनांस से ग्रुप लोन लेने वाली महिलाओं को लॉकडाउन में EMI चुकाने की टेंशन

लॉकडाउन में छोटे व्यवसाय करने वालों की बिगाड़ी आर्थिक स्थिति

Prem Sinha

Ranchi: झारखंड में लगे आंशिक लॉकडाउन ने छोटे- मोटे व्यवसाय करने वालों की कमर तोड़ दी है. उन्हें अब अपने घर की जरूरतों को पूरा करने में खासी परेशानी हो रही है. रांची समेत झारखंड में ऐसे लोगों की संख्या काफी अधिक है तो छोटे व्यवसाय कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. सबसे बुरी हालत माइक्रो फिनांस कंपनियों से कर्ज लेकर व्यवसाय शुरु करने वाली महिलाओं की है. दुकान बंद होने से अब उन्हें ऋण चुकाने की चिंता सता रही है. महिलाओं ने कहा कि पिछली बार सरकार ने मोराटोरियम का विकल्प दिया था, लेकिन इस बार किसी तरह की रियायत नहीं दी गई है. महिलाओं ने सरकार से लॉकडाउन और उसके बाद के कुछ महीनों के लिए मोराटोरियम की व्यवस्था लागू करने की मांग की है.

फिनांस कंपनी कर्ज लौटाने का बना रही दबाव

कांके रोड में ठेले पर लिट्टी और चाय की दुकान लगाने वाली सुनीता देवी ने अपना दर्द बयां किया है. उन्होंने कहा कि पति की मौत के बाद तीन बच्चों की जिम्मेदारी अकेले उनके कंधों पर आ गई. जब लॉकडाउन नहीं था तो वह लिट्टी और चाय बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर लेती थीं. लेकिन जब से रांची में कोरोना केस बढ़ने के साथ लॉकडाउन लगा है उनका व्यवसाय बंद हो गया है. अब ऐसे में उन्हें माइक्रो फिनांस कंपनी से 30 हजार रुपये लिये गए लोन की ईएमआई चुकाने की चिंता सता रही है. सुनीता का कहना है कि फिनांस कंपनी के कर्मचारी लगातार उनपर ईएमआई चुकाने का दबाव बना रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान अब सुनीता सब्जी बेच रही हैं ताकि परिवार का गुजर-बसर कर सकें. 

लोन लेकर शुरु किया झोला सिलाई का काम

रांची के हेहल की रहने वाली रूपा देवी ने बताया कि उनके पति ऑटो चलाते हैं. परिवार में दो बच्चे और सास-ससुर हैं. बच्चों की पढ़ाई और दवाइयों में काफी खर्च होता है. उन्होंने माइक्रो फिनांस कंपनी से 25 हजार रुपये लोन लेकर सिलाई मशीन और जरूरी सामान खरीदे और अपना झोला सिलाई करने का काम शुरु किया. रूपा ने बताया कि लॉकडाउन से पहले दुकानों में उनके 40-50 झोले हर दिन बिक जाते थे. लेकिन लॉकडाउन होने के बाद ज्यादातर दुकानें बंद हैं. ऐसे में उनके झोले नहीं बिक रहे. अब उन्हें माइक्रो फिनांस कंपनी से लिये गए लोन को चुकाने की चिंता सता रही है. रुपा का कहना है कि उन्हें हर सप्ताह लोन का ईएमआई चुकाने कि चिंता सता रही है. चूंकि काम बंद है तो अब आमदनी का स्रोत बंद हो गया है. उसपर माइक्रो फिनांस कंपनी के कर्मचारी लगातार ईएमआई चुकाने का दबाव बना रहे हैं. रूपा ने सरकार से उन जैसी महिलाओं की मदद करने की मांग की है.