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थाईलैंड-कंबोडिया प्राचीन शिव मंदिर के लिए भिड़े, रॉकेट लांचर, तोपखाने, F-16 से हमला, कई लोगों की मौत, पलायन जारी

 New Delhi :  थाईलैंड-कंबोडिया के बीच जारी युद्ध थमता नजर नहीं आ रहा है. कल गुरुवार को शुरू हुए युद्ध में पहले ही दिन थाईलैंड के 14 लोगों के मारे जाने की खबर आयी है. 46 लोग घायल हैं. थाईलैंड के सरकारी अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. कंबोडियाई हमले की वजह से लगभग सवा लाख लोग पलायन कर चुके है.  

 

 

इधर थाईलैंड F-16 लड़ाकू विमानों से कंबोडिया पर हमले कर रहा है. दोनों देशों की सेनाओं ने भारी हथियारों, जैसे बीएम-21 रॉकेट लांचर, तोपखाने और थाई F-16 जेटों से हमले किये, जिससे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल प्रियाह विहार मंदिर को काफी क्षति पहुंची.

 

 


दरअसल दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद का कारण एक हिंदू मंदिर है, जिसमें मुख्य देवता के रूप से भगवान शिव विराजमान हैं.  थाईलैंड टूरिज्म के आधिकारिक पोर्टल में थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर स्थित यह मंदिर प्रसात टा मुएन थोम के रूप में जाना जाता है.  

 

 

 

यह पुरातात्विक स्थल है. प्रसात टा मुएन थोम सहित दो अन्य धार्मिक स्थलप्रसात टा मुएन और प्रसात टा मुएन टोट है. यह तीनों स्थल थाईलैंड-कंबोडिया विवाद के केंद्र में हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मंदिरों की रक्षा के लिए तत्काल युद्धविराम की मांग की है. 
 

 

 

प्रसात टा मुएन थॉम मंदिर को 12वीं शताब्दी के आसपास सम्राट उदयादित्यवर्मन द्वितीय ने हिंदू मंदिर के रूप में बनवाया था. यह मंदिर प्रसात टा मुएन टोट से लगभग 800 मीटर दक्षिण में स्थित है. इस मंदिर में भगवान शिव सर्वोच्च देवता के रूप में विद्यमान हैं. 

 

 

 

 खबर है कि आज शुक्रवार सुबह भी दोनों देशों ने एक दूसरे के ठिकानों पर हमले किये थाईलैंड की सेना के अनुसार  आज तड़के दूसरे दिन भी थाई और कंबोडियाई सैनिकों के बीच सीमा पर झड़पें हुईं. थाई सेना ने बयान जारी कर कहा, कंबोडियाई सेना ने भारी हथियारों, फील्ड आर्टिलरी और बीएम-21 रॉकेट सिस्टम के सहारे  लगातार बमबारी की. थाई सेना ने कहा, हमने उनका माकूल जवाब दिया है. 

 

 


 
कंबोडिया के अखबार खामेर टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सिएम रीप राज्य में एक पैगोड़ा(बौद्ध) पर थाईलैंड की वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने हमला किया. हमले के कारण बौद्ध भिक्षुओं के एक समूह को वहां से भागना पड़ा.  

 

 


खामेर टाइम्स ने लिखा, 24 जुलाई की सुबह  थाई लड़ाकू विमानों ने प्रसात ता मोआन सेन्चे पैगोडा पर तीन बम गिराये. जिससे यह पवित्र स्थल पूरी तरह नष्ट हो गया. हमले से डरे भिक्षु और ग्रामीण अपने पांरपारिक लिबास में   रात भर शरण की तलाश में यात्रा करते रहे. कई लोग सिएम रीप पहुंचे. इस लड़ाई के कारण सैकड़ों साल पुराने मंदिरों और बौद्ध विहारों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. 

 

 


थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि  कंबोडियाई सेना ने भारी हथियारों का इस्तेमाल किया. इस क्रम में फुमथम ने कहा कि हम समस्या के समाधान के लिए शांतिपूर्ण तरीकों और बातचीत के लिए प्रतिबद्ध हैं. लेकिन हमें अपने देश की संप्रभुता की रक्षा करनी होगी. 

 

 


  
उधर कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट ने थाईलैंड से कहा कि ऐसी कोई भी कार्रवाई को न करें, जिससे स्थिति और बिगडे. उन्होंने थाईलैंड से अपनी सेनाओं को सीमा के अपने हिस्से में वापस बुलाने और आगे ऐसी किसी भी भड़काऊ कार्रवाई से बचने का आह्वान किया है. हुन मानेट ने थाईलैंड पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. 

 

 


कंबोडियाई सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि थाई सेना ने ओड्डार मीनचे और प्रीह विहार प्रांतों में आठ ठिकानों पर हमले किये हैं.  कंबोडियाई सेना की प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल सोचेता ने कहा कि कंबोडियाई सेना ने  कंबोडियाई क्षेत्र के भीतर ता क्रबे मंदिर और मोम बेई क्षेत्र पर अपना पूर्ण नियंत्रण कर लिया है. उन्होंने कहा कि कंबोडिया ने सभी सैन्य हमले आत्मरक्षा के लिए किये. 

 

 

 

 जान लें कि मंदिर भौगोलिक रूप से थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर स्थित है. मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार थाईलैंड की ओर है, लेकिन वह कंबोडिया की भौगोलिक सीमा में आता है. दरअसल फ्रांसीसी उपनिवेश काल में 1907 में कंबोडिया के लिए एकनक्शा तैयार किया गया था, उसमें मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा करार दिया गया था. हालांकि थाईलैंड इस नक्शे को गलत बताते हुए मान्यता देने का तैयार नहीं है.

 

 

 

हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने 1962 में फैसला दिया था कि यह मंदिर कंबोडिया का है. थाईलैंड ने इस फैसले को मान लिया,, लेकिन मंदिर के आसपास की 4.6 वर्ग किमी जमीन को लेकर विवाद बना रहा.  यूनेस्को ने 2008 में इस मंदिर को विश्व धरोहर घोषित कर दिया थाईलैंड ने इसका विरोध करते हुए कह कि इससे कंबोडिया का दावा मजबूत होता है. 2008 से 2011 के बीच मंदिर क्षेत्र को लेकर कई बार थाईलैंड और कंबोडिया की सेनाओं के बीच गोलीबारी और झड़पें हो चुकी हैं  


  

 

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