LagatarDesk : देश में कोरोना महामारी से लोग परेशान है. जब से कोरोना ने दस्तक दी है, लोग कह रहे हैं कि कोरोना के कारण बेरोजगारी बढ़ी है. लॉकडाउन के कारण रोजगार के अवसर कम हो गये हैं. लेकिन SBI इकोरैप की रिपोर्ट तो कुछ और ही कहती है. हालांकि यह कहना सही है कि कोरोना के कारण रोजगार के अवसर कम हुए है. लेकिन SBI इकोरैप ने जो रिपोर्ट जारी की है, वह यह बताता है कि भारत की स्थिति पिछले दो सालों से ऐसी ही है. 2019 से 2021 तक रोजगार के अवसर में भारी गिरावट आयी है. आइये समझते है इन आंकड़ों से कि अबतक रोजगार में कितनी कमी आयी है.
साल 2019 से ही रोजगार की स्थिति बदतर
एसबीआई इकोरैप की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 में 89.7 लाख नये रोजगार बने. वहीं वित्त वर्ष 2019-20 में यह घटकर 60.8 लाख पर आ गया था. एक साल में करीब 28.9 लाख की कमी आयी. वित्त वर्ष 2020-21 का आंकड़ा देखें तो इस समय भारत में केवल 44 लाख नये मौके बने. पिछले वित्त वर्ष से तुलना करें तो रोजगार में करीब 16.9 लाख की कमी आयी है.एसबीआई की इस रिपोर्ट से तो यह बात साफ है कि कोरोना महामारी से पहले से ही देश में रोजगार की स्थिति बदतर है. जिस तरह खबरों में दिखाया जा रहा है कि भारत की इकोनॉमी ग्रो कर रही है. पूरे विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी भारत की है. रोजगार और देश में बेरोजगारी की स्थिति तो कुछ और ही कहती है.
2020 में बेरोजगारी दर तीन दशक के सर्वोच्च स्तर पर
भारत में बेरोजगारी भी तेजी से बढ़ रही है. हाल ही में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने एक रिपोर्ट जारी किया था. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2020 में बेरोजगारी दर 7.11 फीसदी पर पहुंच गयी. यह पिछले तीन दशक का सबसे सर्वोच्च स्तर है. भारत में बेरोजगारी दर पिछले 10 सालों में अपने पड़ोसी देशों में भी अधिक रही. अगर इकोनॉमी ग्रो कर रही है तो बेरोजगार क्यों हो रहे हैं. इकोनॉमी ग्रो कर रही है तो लोग रोजगार के लिए भटक क्यों रहे हैं. ऐसे कई से सवाल है जिसका जवाब जानना बहुत जरुरी है. अगर देश की ऐसी ही स्थिति रही तो आने वाले समय में भारत की स्थिति भयावह होगी.
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