Ranchi : स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने सदन में कहा कि चलते मॉनसून सत्र के दौरान हमारे बीच से दिशोम गुरु शिबू सोरेन, स्कूली शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन, पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक सहित कई जाने-माने लोग गुजर गए.
दिशोम गुरु का जाना एक युग का अंत है. लेकिन जो राजनैतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक चेतना उन्होंने झारखंड को प्रदान की है, वह झारखंड के समतामूलक नवनिर्माण को सदा दिशा देता रहेगा.उनकी अनुपस्थिति में उनके विचार हमारा मार्गदर्शन करेंगे.
छह बार दुमका से लोकसभा सदस्य रहे गुरु जी
स्वर्गीय गुरु जी वर्ष 1989, 1991, 1996, 2004, 2009 और 2014 में दुमका से लोकसभा सदस्य रहे. वे वर्ष 1998, 2002 और 2020 में राज्य सभा के सदस्य थे. वर्ष 2005, 2008 और 2009 में दिशोम गुरु ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की सत्ता की बागडोर संभाली.
वर्ष 2004, 2005 और 2006 में केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के कार्यभार को संभाला. गुरु जी झारखंड राज्य आंदोलन के दौरान झारखंड स्वायत शासी परिषद के अध्यक्ष रहे. पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन का निधन एक युग का अंत है.
लेकिन उनके साथ खड़ा हुआ महान जन आंदोलन उस जन आंदोलन के विचार और उस जनआंदोलन से उपजे झारखंड बाबा के अमर होने का प्रमाण दे रहा है.
झारखंडी अस्मिता व संस्कृति के प्रमुख ध्वजवाहक
दिशोम गुरु शिबू सोरेन झारखंड व देश के एक बड़े राजनेता ही नहीं बल्कि झारखंडी अस्मिता और संस्कृति के सबसे प्रमुख ध्वजवाहक थे. 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के रूप में जिस राजनैतिक संगठन को उन्होंने जन्म दिया और जिस राजनैतिक संगठन ने कालांतर में राज्य सत्ता के माध्यम से झारखंड के निर्माण व विकास का बीड़ा अपने कंधों पर उठाया है, उसकी शुरूआत बहुत पहले एक सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक आंदोलन के रूप में हो चुकी थी.
मैं समझता हूं कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन को केवल एक राजनेता मान लेना, उचित नहीं होगा और इसकी व्यापकता को समझे बिना झारखंड राज्य निर्माण आंदोलन के व्यापक परिपेक्ष्य को समझना असंभव है.
टुंडी आश्रम की स्थापना की
गुरुजी ने कोयलानगरी धनबाद में ‘टुंडी आश्रम’ की स्थापना कर झारखंडी अस्मिता, समाज सुधार, महिला सशक्तिकरण, शराब-निषेध और आर्थिक स्वायतता की आधारशिला पर सोनोत संथाल समाज की स्थापना की.
टुंडी आश्रम में उन्होंने 19 सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की, जिसमें स्वरोजगार, आर्थिक स्वतंत्रता सहित आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच किसी भी प्रकार के विवाद के निबटारे के लिए ‘चेताबबैसी’ का निर्माण और जगह-जगह पर विचारबैसी का गठन शामिल था.
उनका साहचर्य जो मुझे प्राप्त हुआ है, उसमें मैंने यही पाया है कि दिशोमगुरु एकसमग्र, स्वायत, विकासोन्मुखी झारखंड की बात करते हैं, जिसकी आधारशिला मूल झारखंडी संस्कृति की बनी है. गुरूजी समावेशी विकास, सह-अस्तित्व और प्रकृति के बहुत बड़े पक्षधर थे.
झारखंड आंदोलन के सच्चे योद्धा थे रामदास सोरेन
कोल्हान क्षेत्र की राजनीति में विशिष्ट पहचान रखने वाले स्कूली शिक्षा एवं निबंधन मंत्री रामदास सोरेन सहज, सरल, सौम्य और सामाजिक व्यक्तित्व के धनी थे. स्वर्गीय रामदास सोरेन ने वर्ष 2009, 2019 और 2024 में घाटशिला विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था.
झारखंड आंदोलन के एक सच्चे योद्धा के रूप में वे मजदूर और विस्थापितों की आवाज बनकर सदैव अग्रिम पंक्ति में संघर्षरत रहे. इनके असामयिक निधन से झारखंड की राजनीति में एक बड़ी शून्यता आई है, जिसकी भरपाई होनी असंभव है.
इन दिवंगत हस्तियों को भी दी गई श्रद्धांजलि
सदन में भारतीय वायुसेना के वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के नायक ग्रुप कैप्टेन डीके पारूलकर, प्रसिद्ध नाटककार, कवि व गीतकार पद्मश्री विनोद कुमार पसायत, गोवा, बिहार, मेघालय व जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे और पूर्व राज्यसभा सांसद सत्यपाल मलिक और वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह को भी श्रद्धांजलि दी गई. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बादल फटने से जान गंवाने वालों को भी सदन में श्रद्धांजलि दी गई.
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