Surjit Singh
झारखंड के इस राजनेता को चिता की आग और कब्र की गहराई भी नहीं डरा पा रही है. इस राजनेता को इस विपदा की घड़ी में भी राजनीति ही करनी है. वही बाहरी-भीतरी वाली राजनीति. जो उसने मुख्यमंत्री रहते की थी. उनका नाम हैं बाबूलाल मरांडी.
बाबूलाल मरांडी ने 21 अप्रैल की रात 8.56 बजे एक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने लिखा हैः “बोकारो स्टील प्लांट से ऑक्सीजन दूसरे राज्यों में भेजने की तैयारी हो चुकी है. अपने राज्य में संसाधन मौजूद होते हुए भी प्रबंधन और समन्वय के अभाव में सरकार केवल बयानबाजी कर रही है. रेमडेसवीर खरीददारी में भी सरकार अभी टेंडर-टेंडर ही खेल रही है. थोड़ा संवेदनशील बनिये हेमंत सोरेन जी.”
बाबूलाल मरांडी भाजपा विधायक दल के नेता हैं. हाल ही में पार्टी में लौटे हैं. उनकी पार्टी उन्हें विपक्ष का नेता भी बनाना चाहती है. उनका यह ट्वीट अपने ही केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के उस बयान के खिलाफ है, जो उन्होंने 21 अप्रैल की शाम 6.23 बजे ट्वीट कर कहा है.
पीयूष गोयल ने अपने ट्वीट में कहा है. “बोकारो से लिक्विड ऑक्सीजन लोड करने हेतु ऑक्सीजन एक्सप्रेस को लखनऊ से बोकारो भेजा जा रहा है, जिससे उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित होगी. मध्य प्रदेश से ऑक्सीजन की मांग को देखते हुए वहां भी यह ट्रेन चलाई जायेगी. कुछ ही दिनों में ऐसी और ट्रेनों का संचालन शुरु किया जायेगा.”
सवाल यह उठता है कि क्या जिस राज्य में जो चीजें बनेंगी, उस पर सिर्फ उसी राज्य का हक होगा. देश के दूसरे राज्यों के लोगों को उससे राहत नहीं पहुंचाई जानी चाहिए. क्या बाबूलाल मरांडी यह चाहते हैं कि हेमंत सरकार, बोकारो से ऑक्सीजन ले जाने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करने लगे. आखिर वह पब्लिक के बीच क्या संदेश देना चाहते हैं. क्या वह पब्लिक को उकसाने का काम नहीं कर रहे हैं. कहीं ऐसा ना हो कि कुछ लोग टैंकर को रोकने पहुंच जायें.
बाबूलाल मरांडी के कल के ट्वीट से उन आरोपों को ही बल मिलता है जिसमें यह कहा जाता है कि वह ऐसे ही नेता हैं. जब झारखंड बना, वे राज्य के मुख्यमंत्री बने. तब उन्होंने डोमेसाइल का ऐसा बीज बोया जो आज तक राज्य को नुकसान पहुंचा रहा है. बेरोजगार अब तक झेल रहे हैं. उस वक्त जो दंगे हुए, उसमें कई लोग मरे. उस वक्त बाहरी-भीतरी का जो जहर फैला. आज तक खत्म नहीं हो पाया है.
इस विपदा की घड़ी में राजनेताओं का कर्तव्य होता है कि वह सरकार को सहयोग करें. मदद के लिये आगे आयें. अगर बाबूलाल मरांडी भी यही करेंगे, तो निश्चित रूप से राज्य भर में उनकी स्वीकार्यता बढ़ेगी.