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कोरोना काल में फीका हुआ कैटरर्स के जीवन का जायका, वीरान बैंक्वेट हॉल ने बढ़ाई संचालकों की मुश्किल

  • सालाना 250-300 करोड़ रुपये का होता है कारोबार
  • कैटरिंग में 100-120 करोड़ खर्च करते हैं लोग
  • बैंक्वेट हॉल संचालकों को रेंट चुकाना मुश्किल
  • यही हाल रहा तो 70-80 फीसदी लोग छोड़ देंगे व्यवसाय

Saurav Shukla

Ranchi : कोरोना ने मानव जीवन को तबाह कर दिया है. बंद पड़े बाजार से व्यवसायी वर्ग परेशान हैं, तो वहीं कोरोना काल में सीमित 11 लोगों के साथ शादी करने की अनुमति से कैटरर की जिंदगी भी बेस्वाद हो गयी है. बैंक्वेट हॉल के संचालक वीरान हॉल देख मायूस हो जाते हैं. उन्हें चिंता सता रही है कि कैसे वे टैक्स, रेंट और अपने स्टाफ की सैलरी का भुगतान करेंगे. महामारी में अधिकतर लोगों ने शादी कैंसिल कर दी है. वहीं कुछ लोगों ने शादी की तारीख को भी आगे बढ़ा दिया है. शादी का लग्न आते ही कैटरिंग कंपनी के लोगों के साथ बैंक्वेट हॉल के संचालक को आमदनी की उम्मीदें होती थीं. लेकिन कोरोना ने सब पर पानी फेर दिया है.

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कैटरिंग एसोसिएशन और बैंक्वेट हॉल के संचालक.

यही हालत रहा तो छोड़ना पड़ेगा व्यवासय

झारखंड कैटरर्स एसोसिएशन के सचिव अरुण सिंह ने कहा कि पूरा कोरोना काल हमारे लिए विपदा की घड़ी जैसी है. पिछले एक साल से भी अधिक समय से हमारे पास कोई काम नहीं है. एक विवाह की बुकिंग में 500-700 लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ होता है. हालत ऐसा है कि सब भूखे मरने के कगार पर है. कैटरिंग के काम से जुड़े कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने सब्जी, फल और राशन के दुकान में काम करना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि हमें गोदाम का भी किराया देना पड़ रहा है और गोदाम में रखे सामान भी खराब हो रहे हैं. हालत कब ठीक होगा कुछ पता नहीं. यदि ऐसी परिस्थिति रही तो 70 से 80% लोग व्यवसाय छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे.

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बैंक्वेट हॉल के संचालक को रेंट, कर्मचारियों को सैलरी देनी पड़ रही है

गीतांजलि बैंक्वेट हॉल के संचालक राजेश गुप्ता ने कहा कि हमारे साथ सबसे बड़ी समस्या है कि हमें स्टाफ को मंथली सैलरी देनी पड़ रही है. साथ ही बिजली का बिल, रेंट और बैंक का ईएमआई भी चुकाना पड़ रहा है. एक साल से कमाई नहीं हुई है. आने वाले समय में भी क्या होगा कुछ पता नहीं है.

27 मई के बाद वाले गाइडलाइन में संशोधन करे राज्य सरकार

झारखंड कैटरिंग एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी राहुल कश्यप ने कहा हमारे जीविकोपार्जन के लिए खर्च कहां से आएगा इस पर सरकार को विचार करना चाहिए. सरकार ने 11 की संख्या में शादी की इजाजत दी है. ऐसे में कैटरिंग का काम करने वाले लोग भुखमरी के कगार पर हैं. सरकार को कम से कम 50 लोगों के साथ शादी की अनुमति देनी चाहिए थी. हाट बाजार में भीड़ लग रहा है. लेकिन सरकार का तुगलकी फरमान सिर्फ कैटरिंग कंपनी के लिए है. हम सभी मिडिल क्लास के लोग हैं और हर चीज खरीदना पड़ता है. उन्होंने कहा कि 27 तारीख के बाद का जो फैसला राज्य सरकार सुनाए उसमें कम से कम 50 लोगों के साथ बैंक्वेट हॉल में शादी की अनुमति दें. ताकि हम अपने घर परिवार के साथ कंपनी में काम करने वाले लोगों को भी रोजगार दे सकें.

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