- जनजातीय भाषाओं को सुरक्षित, संरक्षित व समृद्ध करने की दिशा में हम निरंतर बढ़ रहे आगेः CM
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के प्रयासों से आदिवासी समाज का बढ़ रहा है मान - सम्मान
- जनजातीय भाषा व साहित्य के विकास में अहम योगदान करने वाले साहित्यकारों तथा बुद्धिजीवियों को सम्मानित कर गर्व की हो रही अनुभूति
- जनजातीय भाषा और संस्कृति को पहचान एवं सम्मान दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध
Jamshedpur : सीएम हेमंत सोरेन ने दिशोम जाहेर, करनडीह, जमशेदपुर में आयोजित 22वां संताली "परसी महा" एवं ओलचिकी लिपि के शताब्दी वर्ष समापन समारोह में कहा कि जनजातीय भाषा और संस्कृति को पहचान एवं सम्मान दिलाने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है.
इस दिशा में आदिवासी समाज के साथ मिलकर प्रयास निरंतर जारी है. इसी क्रम में आज का यह समारोह भी काफी विशेष है. क्योंकि, हमें संताली भाषा और साहित्य के विकास में साहित्यकारों तथा बुद्धिजीवियों को उनके योगदान के लिए सम्मानित कर गर्व की अनुभूति हो रही है. ओलचिकी लिपि से संथाली भाषा का पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए सरकार वचनबद्ध है.
आज संताली जैसी जनजातीय भाषाओं से आदिवासी समाज की आवाज दूर तक पहुंच
जनजातीय भाषाओं के विकास और उसे सुरक्षित, संरक्षित और समृद्ध करने की दिशा में हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं. आज संताली जैसी जनजातीय भाषाओं से आदिवासी समाज की आवाज बहुत दूर तक पहुंच रही है.
आदिवासी समाज आज अगर सशक्त हो रहा है तो इसमें हमारे देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का इसमें अहम योगदान है. राष्ट्रपति भवन में भी होने वाले कई कार्यक्रमों में आदिवासी समाज और उसकी संस्कृति, परंपरा और पहचान को प्रमुखता के साथ पेश करने का प्रयास होता रहा है.
राष्ट्रपति की पहल से आदिवासी समाज का मान - सम्मान बढ़ रहा है. ऐसे में राष्ट्रपति के प्रयासों की जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम ही होगी.
पंडित रघुनाथ मुर्मू को कभी भूल नहीं सकते
मुख्यमंत्री ने कहा कि संथाली भाषा और इसकी लिपि ओल - चिकी का आज अलग वजूद है तो इसमें गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू का योगदान अविस्मरणीय है. आज से सौ वर्ष पहले उन्होंने ओल चिकी के रूप में संथाली भाषा को एक अलग लिपि दी थी. ऐसे में जब तक ओल -चिकी लिपि और आदिवासी‑संताल समाज जीवित रहेगा, तब तक पंडित रघुनाथ मुर्मू जी अमर रहेंगे.
इस अवसर पर लोक सभा सांसद एवं ऑल संताली राइटर्स एसोसिएशन के सलाहकार कालीपद सोरेन, ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मण किस्कू, जाहेर थान कमिटी के अध्यक्ष सीआर मांझी समेत संताली समाज के प्रतिनिधि मौजूद थे.
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