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LagatarDesk : कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, महंगाई और अन्य जियोपॉलिटिकल फैक्टर्स का असर ग्लोबल इकोनॉमी पर पड़ा है. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कही जाने वाली अमेरिका भी इससे अछूती नहीं है. थॉर्नबर्ग इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के पोर्टफोलियो मैनेजर क्रिश्चियन हॉफमैन ने इशारा किया कि है कि अमेरिका में मंदी का खतरा मंडरा रहा है. क्रिश्चियन हॉफमैन ने कहा कि अमेरिका की लिक्विडिटी लेहमैन ब्रदर्स के समय से भी बदतर हो गयी है. यह संकट आगे और बढ़ सकता है. हॉफमैन ने कहा कि अमेरिका की लिक्विडिटी देखकर 2008 का ब्लैक ट्रेडिंग डे याद आ रहा है. (पढ़े, रांची हिंसा मामला : कौन है इस घटना का मास्टरमाइंड? रांची पुलिस जल्द करेगी खुलासा)
40 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची महंगाई
बता दें कि अमेरिका में महंगाई 40 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी है. वहीं अमेरिकी शेयर बाजार में भी भारी गिरावट देखने को मिल रही है. करीब 14 साल पुरानी कहानी फिर से दोहराती नजर आ रही है. 14 साल पहले अमेरिका के हालात बैंकिंग फर्म लेहमैन ब्रदर्स के दिवालिया हो जाने से बिगड़े थे. लेकिन इस बार परिस्थिति थोड़ी उलट और विकट है.
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यूक्रेन-रूस युद्ध ने बढ़ायी अमेरिका की मुसीबत
अमेरिका की मुसिबत का कारण यूक्रेन-रूस की जंग और कोरोना की मार है. यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण सप्लाई चेन प्रभावित हुई. जिसकी वजह से महंगाई तेजी से बढ़ी. महंगाई की यह स्पीड जितनी तेजी से बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से इकोनॉमी पस्त होती दिख रही है. अमेरिका में रिकॉर्ड महंगाई और इकोनॉमी पस्त होने का असर शेयर बाजार में भी दिखने लगा है. सूचकांक S&P 500 ने अपने जनवरी के उच्चतम स्तर से अबतक 20% से अधिक का नुकसान झेल लिया है. इसी के साथ S&P 500 की बियर मार्केट में एंट्री हो गयी है. एक अन्य सूचकांक नैस्डैक पहले से ही बियर मार्केट में शामिल है. यह इस साल 25 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है.
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बियर मार्केट से पता चलता है स्टॉक एक्सचेंज की माली हालत
आपको यहां बता दें कि बियर मार्केट से देश के स्टॉक एक्सचेंज की माली हालत के बारे में पता चलता है. यह किसी भी देश की इकोनॉमी के लिए बुरे संकेत होते हैं. ऐसे में अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज के सूचकांक S&P 500 और नैस्डैक के बियर मार्केट में एंट्री इस बात का संकेत दे रहे हैं कि वहां स्थिति सामान्य नहीं है.
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लेहमैन के दिवालिया होने का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा था
आपको बता दें कि अमेरिका के बैंकिंग फर्म लेहमैन ब्रदर्स जब दिवालिया हुई थी तब भारतीय शेयर बाजार रसातल में चले गये थे. साल 2008 के शुरुआती महीनों में जो सेंसेक्स 20 हजार अंक के उच्चतम स्तर पर था वो एक साल के भीतर 8 हजार अंक के स्तर तक गिरा था. तब सेंसेक्स करीब 12000 अंक या 55 फीसदी से ज्यादा टूट गया था.
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अमेरिकी बाजार की चाल बिगड़ने से भारतीय बाजार में हाहाकार
अमेरिका की शेयर बाजार की चाल बिगड़ जाने से भारत में भी हाहाकार मचा हुआ है. भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स अपने ऑल टाइम हाई 62,245 अंक से करीब 10 हजार अंक नीचे आ चुका है. 19 अक्टूबर 2021 को सेंसेक्स ने अपने ऑल टाइम हाई लेवल को टच किया था. वर्तमान में सेंसेक्स 53 हजार अंक के नीचे है और 52 सप्ताह के निचले स्तर के करीब पहुंचने वाला है. 18 जून 2021 को सेंसेक्स 51601 अंक के लो लेवल पर आया था.
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