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सरना और मसना स्थलों को किया जा रहा संरक्षित
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरना और मसना स्थल आदिवासियों की आस्था से जुड़े हैं. इन्हें संरक्षित रखने की दिशा में सरकार कार्य कर रही है. उन्होंने लोगों से कहा कि सामाजिक धरोहरों को अक्षुण्ण रखने में समाज को भी जिम्मेदारी निभानी होगी. सरकार के प्रयास और आपके योगदान से हम अपने सामाजिक -धार्मिक धरोहर को अलग पहचान दे सकते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरहुल का त्योहार एक ओर हमें प्रकृति से जोड़ता है तो दूसरी तरफ अपनी समृद्ध परंपरा और संस्कृति का सुखद अहसास कराता है. यही वजह है कि आदिवासी समाज वर्षों से प्रकृति पूजा की परंपरा को निभाते चले आ रहे हैं.जरूरतों और चुनौतियों के बीच संतुलन बनाना होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में हमारी जरूरतें जिस तेजी से बढ़ रही है, उसी हिसाब से चुनौतियां भी सामने आ रही हैं. इसका सीधा असर हमारी प्राकृतिक व्यवस्था व्यवस्था पर पड़ रहा है. अगर अपनी जरूरतों और चुनौतियों के बीच संतुलन नहीं बना पाए, तो इसका खमियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना होगा. ऐसे में जरूरत है कि प्रकृति की गोद से जो हम हासिल कर रहे हैं, उसे पूरा लौटाना तो नामुमकिन है, लेकिन पेड़ लगाकर और पेड़ बचाकर हम प्रकृति के प्रति कुछ तो अपना योगदान कर सकते हैं. मुख्यमंत्री ने जंगल के साथ नदी- नाले और पहाड़ों को बचाने के लिए भी लोगों से आगे आने को कहा. इसे भी पढ़ें – लोकसभा">https://lagatar.in/after-losing-lok-sabha-membership-rahul-said-ready-to-pay-any-cost-for-indias-voice/">लोकसभाकी सदस्यता जाने पर बोले राहुल, भारत की आवाज के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार [wpse_comments_template]

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