Sanjay Singh
ई है कोयला नगरिया तू देख बबुआ. जी हां, ईहां राजनीति के एक से बढ़कर एक कलाकार बांड़ें. कुछ त काेइला से हाथ करिया कईले नेतई बघारले बाडें तो कुछ शिक्षा के कारोबारी हउएं. शिक्षा के बेच के ढेरे माल बटोरलेले बाड़ें. अब भाई माल ढेरे हो गईल बा तो सोचलन कि काहे न लगे हाथ राजनीतियो में हाथवा आजमा लीहिल जाओ, कूद पड़ले नेतई में. नेतई में सक्सेसफुल होईहें, तभिए न धंधवा चमकावे में, खास कर धंधवा के साथ गोरखधंधवा भी करे में सहूलियत होई. कुछ धंधेबाज लोग धीरे से बड़की पार्टिया, अरे उहे नेशनल वाली बड़की पार्टिया में गते से घुसिया गईल बाड़ें, तो कुछ घुसियाए के फिराक में जेने-तेने मुंह मारले बाड़ें.
एगो पार्टिया में तो ऑनलाइन सदस्यता अभियान चलावल गईल रहे, तो ढेरे धंधेबाज, माफिया, ठेकेदार, कोईला चोरावे लोग ऊ पार्टिया में गते से घुसिया गईल , लेकिन उ पार्टिया के स्थानीय बड़का-बड़का कहावेवाला नेताजी लोग के तनिको भनक ना लागल. जब टिकट के दावेदारी के समइया आईल ह, तो ई नेताजी लोग बिल से बिलबिला के निकले लगलें, तो बड़का नेताजी लोगन के होशे उड़ गईल बा. सभे नेताजी लोग के लगे पईसवा ढेरे बा, तो दिहाड़ी मजदूरी करनेवाला ढेरे कार्यकर्ता भी जुटा लेवे ला लोग. अब देश के एगो सब ले पुरनकी पार्टिया में एगो नेताजी खाली गते से घुसियाईले नईखन, बल्कि टिकट ला भी पूरा उछल-कूद मचाईले बाड़े. ई नेताजी के शिक्षा बेचे वाला कारोबार बा. ई नेताजी ताे गजबे के बीपीएल भी बाड़ें. यानि बिन पेंदी के लाेटा. लाेकसभा चुनाउवा के पहिले ताे अपन लाडला जी के भाजपा में घुसियाई देलन. एक लाख रुपइयाके चेकवाे फूल वाला लाेग के दान कई देलन. खूबे फाेटाे खिंचवाइलन. लेकिन देख लीहि, विधनसभा चुनाव नजदीक आईल त खुदे् पंजा लडावेला बेचैन हाे गईल बाडे़ं. अब का कहल जाओ ई बीपीएल नेताजी के.
ई नेताजी मालवा यानि राेपइया ढेरे कमाईए लेले बाड़ें, तो तनिका नेतई करे के मन कर गईल बा. अब कोयला नगरिया से पंजा लड़ावे ला बेचैनी में जेने-तेने ताक-झांक कईले बाड़ें. ऊहां के पार्टी के जिला स्तर के बड़का पदाधिकारी अकवारी में लेले घूम रहल बाड़ें. ऊ पार्टिया के दूसरके नेता जी लोगन ई जुगलबंदी देखला के बाद खुसुर-फुसुर कईले घूम रहल बाड़ें जा. ई पार्टिया के छोटकी-छोटकी नेताजी लोग के ई जुगलबंदिया तनिको पचत नईखे. लेकिन ई लोग कुछ करियो त ना सके. ढेर होई, तो हल्ला-गुल्ला कईके संतोष भाई में तनिका असंतोष पैदा करी लोग.
कोइला नगरिया के पंजा लड़वइया पार्टिया में ए घरी एगो चौधरी जी ढेरे चौधराहट कर रहल बाड़ें. ई महोदय पंजवा में कब घुसिया गईलें ई पार्टियोवाला लोग के भी पता नईखे. पंजा ब्रांडवाला छोटकन नेताजी लोगन ई महोदय के शिक्षा बेचवा बता रहल बाड़ें. लेकिन हाल के दिन में चौधराहट बघारेवाला कथित नेताजी तनिका ज्यादा उछल-कूद मचा रहल बाड़ें. कईले का बाड़े, पार्टिया के कोइला नगरी के मुखिया जी के भर अकवारी दर लेले बाड़ें. उहां से तनिका लक्ष्मी महिमा के बखान कर दीहले बाड़ें. तानिका गांधीयो जी से भी भेंट करा दीहले बाड़े. अरे भाई… जब लक्ष्मी जी के कृपा के साथे साथ गांधी दर्शन होई, तो मुखिया जी तो चौधरी साहिब के चौधराहट करावे खातिर घुमाईबे नू करिहें. वइसे मुखिया जी बाड़ें बड़ा संतोषी. केहूं थोड़को कृपा कर देलस, तो ओकर गुणगान करत ना थकेलन. तो संतोषी जीव मुखिया जी चौधरी महोदय के रवि लेखा राेशनी बिखेरे खातिर जेने-तेन घुमाइले बाड़ें. बस ईहे ऊ पार्टिया के पुरनका चाउर ब्रांड नेताजी लोग को पचत नईखे.
वईसे रवि लेखा रोशनी फैलावे के दावा कईके चौधराहट बघारेवाला शिक्षा बेचवा नेताजी कम चलाक नईखें. ई तो एतना शातिर बाड़ें कि एक बेर एहिजा से गते से खिसक गईलें और चल गईलें बिहार से चुनाव लड़े लगी. पंजवा में दाल तो ना गलल रहे, तईयाे चुनाउवा लड़ गईलें. ऊ का तो एगो कहाला… जमानत.. तो भाई जी के चौधराहट बघारे में जमानत जब्त टाईप के कुछुओ हो गईल रहे. बेचारा लजाईले फिर से कोइला वाली नगरिया में घुरे-फिरे लगलें. एहिजे मौका के तलाश में लाग गईलें. तो संतोषी जी के साथ मिल गईल. अब देखीं ई केतना अबुताईल बाड़ें. संवसे शहर में जेने-तेने होर्डिंग, बैनर-पोस्टर लगाईके नेतागिरी बघारले बाड़ें. ईनको के पंजा लड़ावे लगी टिकट चाहीं.
अब पार्टिया के पुरनका नेताजी लोग इनके नामे सुन के बिदक गईल बाड़ें. कहे लागल बा लोग कि हमनी का घास छिलेब सभे का भाई. ई पार्टिया में चौधराहट न चले देब. ई कब पार्टिया में घुसियाईल बाड़े, इहो तो पता चले. लेकिन चाहे कुछो हो जाए, ई चौधरी साहिब शिक्षा बेच के ताे ढेरे कमाईया कइले बाड़ें, ओकरे से पंजा लड़ावे लगी संतोषी बाबू के कृपा से ढेरे उछल-कूद मचाईले बाड़ें. अब देखल जाओ…चौधराहट चल पाई कि ना और संतोषी बाबू के केतना चली. देखल जाओ आगे-आगे पंजा लड़वाईया लोग आपसे में केतना धींगा-मुश्ती कर सकेला.
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