- गोड्डा जिले में सरकारी जमीन हड़पने वाले विदेश शिफ्ट, मुंशी देख रहा काम
- ओ माई गॉड… टिबड़ेवाल ही है जमीन हेराफेरी का मास्टर माइंड
- टिबड़ेवाल परिवार ने करीब 110 बीघा सरकारी जमीन की हेराफेरी की है
- सरकारी जमीन पर कांग्रेस के पूर्व विधायक राजेश रंजन का भी आलीशान मकान
Pravin Kumar/ Amit Singh
Ranchi : गोड्डा जिले के महगामा अंचल में सरकारी जमीन हड़पने, फर्जी दस्तावेज के सहारे जमीन की हेराफेरी करने वालों में कैलाश टिबड़ेवाल का नाम सबसे ऊपर है. महगामा अंचल के बसुआ सहित अन्य मौजा में 169 बीघा सरकारी जमीन की अवैध जमाबंदी हुई है. अबतक अवैध जमाबंदी कराने वाले 208 लोग चिह्नित हो चुके हैं. अवैध जमाबंदी वाली जमीन की सबसे ज्यादा खरीद बिक्री कैलाश टिबड़ेवाल और उनके परिवार के लोगों ने ही की है. महगामा के परसंडा स्टेट, बसुआ मौजा सहित अन्य मौजा में टिबड़ेवाल परिवार ने करीब 110 बीघा सरकारी जमीन की हेराफेरी की है. टिबड़ेवाल परिवार ने जिस सरकारी जमीन की अवैध जमाबंदी कराई है, अफसरों की मिलीभगत से खरीद -बिक्री की, उस पर टिबड़ेवाल परिवार का अपना आवास नहीं है. सैकड़ों बीघा जमीन की हेराफेरी से टिबड़ेवाल परिवार ने अवैध रूप से करोड़ों की कमाई की है. हेराफेरी करने के बाद परिवार के ज्यादातर सदस्य विदेश चले गए हैं. या यों कहें कि स्थायी रूप से विदेश में शिफ्ट कर गए हैं. कोलकाता में भी इनकी करोड़ों की संपत्ति बतायी जाती है. भले ही टिबड़ेवाल परिवार के लोग विदेश शिफ्मट कर गए हैं, लेकिन महगामा अंचल में जमीन का मसला सलटाने के लिए कई लोगों को नियुक्त कर रखा है, जो येन-केन प्रकारेण अफसर, राजनेता से लेकर मीडिया तक मैनेज करने में लगे रहते हैं.
सरकारी मवेशी अस्पताल की 3 बीघा जमीन का कर दिया सौदा
महगामा अंचल के कई मौजा में कैलाश टिबड़ेवाल ने बिना जमाबंदी वाली जमीन को भी अफसरों से सांठगाठ कर बेच दिया है. जमीन घोटाले का मास्टरमाइंड कैलाश टिबड़ेवाल को बताया जा रहा है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण, बसुआ मौजा स्थित सरकारी मवेशी अस्पताल की तीन बीघा जमीन है. इस जमीन की जमाबंदी अंचल कार्यालय के दस्तावेज में सरकारी मवेशी अस्पताल के नाम पर दर्ज है. लेकिन इस जमीन को भी कैलाशटिबड़ेवाल ने बेच डाला है.
मवेशी अस्पताल की जमीन पर खुल गया निजी अस्पताल
सरकारी मवेशी अस्पताल की जमीन को कैलाश टिबड़ेवाल ने डॉ. कुलदीप को बेच डाला है. डॉ. कुलदीप ने सरकारी मवेशी अस्पताल की जमीन खरीदकर आंख का निजी अस्पताल खोल दिया है. डॉ तरूण मिश्रा ने भी इसी खाता की जमीन सादा केवाला पर खरीदी है और उस जमीन पर ग्लोबल हॉस्पिटल का संचालन किया जा रहा है. इसी तीन बीघा सरकारी जमीन पर पूर्व कांग्रेस विधायक राजेश रंजन का भी आलीशान मकान बना हुआ है.
टिबड़ेवाल परिवार ने ईसीएल से करोड़ों का मुआवजा भी लिया
बसुआ मौजा में कैलाश टिबड़ेवाल परिवार ने सबसे ज्यादा सरकारी जमीन की जमाबंदी कराई है. गोड्डा जिले में टिबड़ेवाल परिवार इतना प्रभावशाली है कि सरकारी सिस्टम आज तक कैलाश टिबड़ेवाल तक नहीं पहुंच पाया. महगामा अंचल के बसुआ मौजा में ईसीएल ने 44.94 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है. अवैध जमाबंदी नंबर 21 के भूमि के एवज में करोड़ों रुपये मुआवजा लेने वालों में विनोद कुमार टिबड़ेवाल अशोक कुमार टिबड़ेवाल, संतोष कुमार टिबड़ेवाल, लोक नाथ टिबड़ेवाल, रघुनंदन प्रसाद टिबड़ेवाल, राम गोपाल टिबड़ेवाल, पवन कुमार टिबड़ेवाल, कृति नारायण, दिलीप कुमार राय, अरुण कुमार राय, चंदन कुमार राय, सुदीप कुमार, श्याम लाल टिबड़ेवाल, कैलाश टिबड़ेवाल, शिवनंदन टिबड़ेवाल और रामरतन भगत शामिल हैं.
…मेरे जैसे कई लोग काम देखते हैं, मैं कुछ नहीं बोलूंगा
शुभम संदेश अखबार को बताया गया कि महगामा अंचल में कैलाश टिबड़ेवाल परिवार की जमीन से संबंधित कामकाज दिलीप टिबड़ेवाल नामक व्यक्ति देखता है. इसने भी जमीन के खेल से करोड़ों की संपत्ति बनाई है. खबर में टिबड़ेवाल परिवार का पक्ष आए, इसे लेकर दिलीप टिबड़ेवाल से बातचीत की गयी. दिलीप टिबड़ेवाल ने पहले तो बात करने से ही मना कर दिया. फिर कहा, मैं कैलाश टिबड़ेवाल की जमीन के संबंध में कुछ नहीं बताउंगा. मैं कुछ नहीं जानता हूं. आपलोगों को जो छापना है छापिए, छाप ही रहे हैं, अब क्या है-क्या नहीं है? हमको नहीं पता. कैलाश टिबड़ेवाल का बहुत बड़ा परिवार है. मेरा पक्ष रखिए या नहीं, हम कुछ नहीं बोलेंगे इस बारे में. यह पूछे जाने पर कि कैलाश टिबड़ेवाल परिवार का कानूनी काम आप ही देखते हैं, तो दिलीप टिबड़ेवाल ने कहा कि मैं अकेला बोल कर नहीं हूं. मेरे जैसे बहुत आदमी हैं. ठीक है, फॉर करके कागजों पर साइन किया होगा. इसका मतलब यह नहीं है कि मैं सबसे बड़ा आदमी हूं. यहां के हम ही मालिक हैं. टिबड़ेवाल परिवार द्वारा और भी कई लोगों को यहां काम करने के लिए रखा गया है.
हमको छोड़ दिजीए, अपना काम कीजिए
कैलाश टिबड़ेवाल से कैसे बात होगी? इस पर कहा कि इस बारे में हम कुछ भी नहीं बोल पाएंगे. हमको न इसमें कुछ बोलना है, आपको जो जहां दिया, आप उन्हीं से पूछिए, कैसे बात होगी. सुनिए भाई साहब मैं इसके बारे में कुछ नहीं बताउंगा. जो खबर लिखवाया है, उसी से जवाब ले लीजिए. हमको इ सब लफड़ा में नहीं पड़ना है. हमको आप छोड़ दिजीए. आप अपना काम कीजिए.
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