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सिरमटोली फ्लाईओवर के उद्घाटन पर भड़के आदिवासी संगठन, 5 जून को मनाएंगे काला दिवस

Ranchi : झारखंड बंद के दूसरे दिन राज्य सरकार द्वारा सिरमटोली फ्लाईओवर का उद्घाटन किए जाने पर आदिवासी समुदाय में तीव्र आक्रोश देखा गया. आदिवासी नेताओं और संगठनों ने इसे आदिवासी अस्मिता और सरना संस्कृति पर सीधा हमला बताया है.

 

 

सिरमटोली सरना स्थल बचाव मोर्चा और आदिवासी बचाओ मोर्चा के बैनर तले आयोजित बैठक में पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने नगाड़ाटोली स्थित सरना भवन में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि 5 जून को आदिवासी समाज 'काला दिवस' के रूप में मनाएगा, क्योंकि उद्घाटन के दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आगमन को लेकर सरना धर्मावलंबियों को सिरमटोली सरना स्थल पर प्रार्थना करने से रोका गया. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने की कोशिश की है.

 

गीताश्री उरांव ने कहा कि यह स्थल वर्षों से आदिवासी अस्मिता और सरना आस्था का प्रतीक रहा है, और इसके पास बिना स्थानीय समुदाय की सहमति के फ्लाईओवर का रैम्प बनाया गया है. उन्होंने कहा कि केवल फ्लाईओवर को बाबा कार्तिक उरांव के नाम से समर्पित कर देने भर से आदिवासी समाज की पीड़ा समाप्त नहीं होगी.

 

 

कार्तिक उरांव के सपने को किया अपमानित देवकुमार धान

 

पूर्व मंत्री देवकुमार धान ने कहा कि फ्लाईओवर का उद्घाटन गुपचुप तरीके से कर आदिवासी समुदाय के अधिकारों और उनके आंदोलन को दरकिनार करने का प्रयास किया गया है. उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक सरना स्थल के सामने बना रैम्प नहीं हटाया जाता, आंदोलन जारी रहेगा. वहीं प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में सरकार ने जनहित के मुद्दों पर कोई ठोस काम नहीं किया है. अगर सरकार अब भी आदिवासी समाज की बात नहीं सुनेगी, तो उसे सत्ता से हटाने की ताकत आदिवासी समाज रखता है.

 

 

निरंजना हेरेंज ने कहा कि आने वाले दिनों में आदिवासी बचाओ मोर्चा राज्यव्यापी आंदोलन को और तेज करेगा और मुख्यमंत्री को पद से हटाने के लिए संघर्ष करेगा. उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में पांचवीं अनुसूची के तहत सरकार तो बनी है, लेकिन आदिवासियों की चिंताओं को कोई तवज्जो नहीं दी जा रही.

 

 

सिरमटोली स्थल की गरिमा को पहुंचाई ठेस फूलचंद तिर्की

 

केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि सिरमटोली जैसे संवेदनशील स्थल पर फ्लाईओवर का निर्माण और उद्घाटन बिना व्यापक समीक्षा और संवाद के किया जाना, आदिवासी समाज का अपमान है. उन्होंने कहा कि इससे सिरमटोली और सरना स्थल की गरिमा को ठेस पहुंची है.