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सूर्या हांसदा के एनकाउंटर के खिलाफ आदिवासी संगठन एकजुट, 23 को निकालेंगे आक्रोश मार्च

Ranchi : झारखंड में आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता सूर्या नारायण हांसदा की कथित फर्जी मुठभेड़ में हुई मौत के खिलाफ आदिवासी संगठनों में आक्रोश है. गुरुवार को करमटोली स्थित केंद्रीय धुमकड़िया में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आदिवासी कार्यकर्ता जगलाल पाहन, सतीश उरांव, बबलू मुंडा, रंजीत उरांव, आरती कुजूर और महादेव टोप्पो ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्य में आदिवासी अगुवाओं की सुरक्षा खतरे में है.

 

उन्होंने आरोप लगाया कि धार्मिक और सामाजिक कार्य कर रहे आदिवासी नेताओं को पुलिस और आपराधिक तत्वों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. सूर्या नारायण हांसदा की हत्या को पुलिस एनकाउंटर बता रही है. लेकिन आदिवासी संगठनों का मानना है कि यह एक सुनियोजित फर्जी मुठभेड़ थी, जिसकी CBI जांच होनी चाहिए.

 

खनिज और जमीन की लूट में शामिल है पुलिस – बबलू मुंडा


केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि झारखंड में जमीन और खनिज संसाधनों की लूट में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है. जब कोई आदिवासी इसका विरोध करता है, तो उसे गोली मार दी जाती है. उन्होंने आरोप लगाया कि सूर्या नारायण हांसदा को 10 अगस्त को पुलिस ने गिरफ्तार किया और 11 अगस्त को उन्हें अपराधी करार देते हुए मुठभेड़ में मार दिया गया.इस घटना के विरोध में 23 अगस्त को जिला स्कूल मैदान से राजभवन तक पैदल आक्रोश मार्च निकाला जाएगा, जिसमें पूरे आदिवासी समाज से भाग लेने की अपील की गई है.

 

सरकार आदिवासियों की आवाज कुचल रही – जगलाल पाहन


जगलाल पाहन ने कहा कि राज्य सरकार आदिवासी मूलवासियों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है. जो भी अपने हक और अधिकार की बात करता है, उसे धमकाया जाता है या खत्म कर दिया जाता है.

 

सूर्या की हत्या एक साजिश – आरती कुजूर


सामाजिक कार्यकर्ता आरती कुजूर ने कहा कि सूर्या नारायण हांसदा को खूंखार अपराधी बताकर देवघर से गिरफ्तार किया गया और फिर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया. यह एक सोची-समझी सरकारी साजिश थी.सतीश उरांव ने बताया कि जब हांसदा का शव उनके परिजनों को सौंपा गया, तब उनके शरीर पर कई फोड़े और गहरी चोटों के निशान थे. हांसदा करीब 500 गरीब बच्चों को शिक्षित कर रहे थे, जिससे उनका सामाजिक प्रभाव बढ़ता जा रहा था.

 

ये हैं मांगें


•    हांसदा की मौत की CBI जांच हो.
•    गोली चलाने वाले पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर कठोर सजा दी जाए.

 

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